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बंदरों से खौफ खा रहे वन विभाग के अधिकारी

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल के लोगों की नाक में दम करने वाले बंदरों से इन दिनों वन विभाग के अफसरों

By Edited By: Published: Wed, 10 Feb 2016 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2016 01:00 AM (IST)

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल के लोगों की नाक में दम करने वाले बंदरों से इन दिनों वन विभाग के अफसरों के बीच खौफ है। इनके गले की फांस यह है कि वैज्ञानिक तौर पर पहली बार हिमाचल में ताजा सर्वे में बढ़ने की बजाय करीब 20 हजार बंदर कम हुए हैं।

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वर्ष 2013 के सर्वे में हिमाचल में बंदरों की संख्या 2 लाख 26 हजार थी। अब दो लाख छह हजार बंदर यहां सर्वे के दौरान वन सुरक्षा गार्ड से लेकर महकमे के अफसरों क ो फील्ड में दिखे हैं। सूत्र बताते हैं कि बंदरों की कम संख्या होने पर अफसर खौफ खा रहे हैं। अब प्रदेश के लोग इस सत्य को कैसे सहन कर पाएंगे जब बंदरों से काट खाने के मामले साल दर साल बढ़ रहे हैं। बंदरों के आतंक से प्रदेश के कई किसान खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। करोड़ों रुपये का नुकसान बंदरों से किसान झेलने को विवश हैं। बंदरों के काटने वालों का मुआवजा राज्य वन्य प्राणी विंग के रिकॉर्ड में साल दर साल बढ़ रहा है। कम से कम पांच हजार रुपये विभाग द्वारा बंदरों के काटने पर दिए जाते हैं और यदि घाव अधिक हो तो अधिक मुआवजा मिलता है। ताजा सर्वे में सामने आए आंकड़ों की फाइल आठ माह की अवधि पूरी होने के बाद भी अफसरों की टेबलों पर धूल फांक रही है। तर्क यह है कि वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी इस सर्वे को रिलीज करेंगे। वहीं, सत्य यह है कि सरकार की अफसरशाही के पास बंदरों की संख्या में कमी आने का वैज्ञानिक आधार नहीं जुट रहा है जिससे जिज्ञासु जनता के प्रश्नों का जवाब मिल पाए और विपक्ष के तीखे तीरों से सदन में सरकार को बचाया जा सके। अफसरों को इस बात का जवाब नहीं मिल रहा है कि चालीस हजार सालाना बंध्यीकरण की क्षमता रखने वाले आठ स्टरलाइजेशन केंद्रों में राज्य वन्य प्राणी विंग के विशेषज्ञ चिकित्सक इस चालू सत्र में महज चार हजार तक ही बंदरों की नसबंदी कर पाए हैं तो बंदर प्रदेश में कम कैसे हो रहे हैं।

धर्मशाला, रेणुका व पालमपुर में बढ़े बंदर

सूत्र बताते हैं कि बंदरों की संख्या धर्मशाला, रेणुका व पालमपुर में बढ़ी है। यही आंकड़े अफसर खुल कर बता पा रहे हैं। बंदरों की संख्या कहां कम हुई है, इसे लेकर अपने सामने टेबल पर रखी फाइल को हाथ लगाने से भी विभाग के अफसर खौफ खा रहे हैं। प्रश्न यह है कि यदि बंदर कम हुए हैं तो फिर वन विभाग ने इतना ज्यादा मुआवजा कैसे दिया है?

वर्ष बंदरों के काटने के मामले मुआवजा दिया

2013-14 513 25 लाख

2014-15 59 1.37 लाख

2015-16 102 2.38 लाख

(मुआवजा रुपये में)

वन मंत्री रिलीज करेंगे सर्वे

बंदरों की संख्या को लेकर ताजा सर्वे पूरा हो चुका है। वन मंत्री ही इस सर्वे को रिलीज करेंगे।

एसएस नेगी, प्रधान मुख्य अरण्यपाल, वन्य प्राणी विंग


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