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अब मिलेगी पिंजरे में पली मछली

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश के जलाशयों में पिंजरों में पली मछलियां लोगों को जल्द उपलब्ध होंग

By Edited By: Published: Sat, 04 Jul 2015 08:09 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2015 08:09 PM (IST)
अब मिलेगी पिंजरे में पली मछली

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश के जलाशयों में पिंजरों में पली मछलियां लोगों को जल्द उपलब्ध होंगी। गोबिंदसागर व पौंग जलाशयों में पिंजरों में मछली पालन का प्रयोग पहली बार सफल साबित हुआ है। पैंगैशियस सूची नामक प्रजाति की मछली का विक्रय भी जलाशयों के लिए प्रचलित विक्रय प्रणाली के तहत करने की तैयारी है। एक पिंजरे में एक वर्ष में दो मीट्रिक टन मछली उत्पादन होने का अनुमान मत्स्य विभाग के अधिकारियों का है।

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प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक मछली उत्पादन का रिकार्ड रखने वाले पौंग जलाशय की अन्य मछलियां पूरे देश में ऊंचे दाम अर्जित कर रही है। पहली बार पैदा की जा रही विशेष मछली के लिए प्रथम चरण में गोबिंदसागर जलाशय में भाखड़ा के निकट माकड़ी व पौंग जलाशय में स्यूलखड्ड में चार-चार पिंजरे स्थापित किए गए हैं। अप्रैल में पहली बार बीज संग्रहण किया गया व प्रयोग सफल रहा। फरवरी में अतिरिक्त मुख्य सचिव (मत्स्य)की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय जलाशय विकास समिति की बैठक में इसे बढ़ाने पर विचार किया गया। राज्यस्तर पर विभाग के सचिव की अध्यक्षता में 'राज्यस्तरीय जलाशय विकास समिति' का गठन किया गया है। योजना में मत्स्य सहकारी सभा के सदस्यों के एक समूह को शामिल किया गया है जिन्हें पिंजरों में पल रही मछली के रखरखाव के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। गोबिंदसागर जलाशय का मछली उत्पादन राष्ट्रीय स्तर के औसत मछली उत्पादन से आठ गुणा से अधिक है। प्रदेश उत्तम जलाश्य मत्स्य प्रबंध व्यवस्था के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रख्यात है।

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यह है तकनीक

छह मीटर लंबाई, चार मीटर चौड़ाई तथा चार मीटर गहराई के आकार के एक पिंजरे में 4000 मछली बीज डाला गया, जिसे दिन में तीन बार खुराक दी जाती है। मछली की खुराक की गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं किया गया है। 32, 28 व 24 प्रतिशत प्रोटीन वाली खुराक अलग-अलग बढ़ोतरी स्तर पर दी जाती है। यह मछली जिस तेजी से खुराक ग्रहण करती है, उसी तेजी से बढ़ती भी है।

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बढ़ेगा मछली उत्पादन व

मछुआरों की आय : श्रीधर

अतिरिक्त मुख्य सचिव (मत्स्य) तरुण श्रीधर ने बताया कि विभाग के प्रयोग से जहा मछली उत्पादन में बढ़ोतरी होगी वहीं मछुआरों की आय भी बढ़ेगी। विभाग द्वारा प्रथम वर्ष में योजना पर पूरा व्यय वहन करने के बाद पिंजरे सभा के समूह को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है।


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