दस साल से पद खाली, पुस्तकालय झेल रहा बदहाली
संवाद सहयोगी, शिमला : हिमाचल प्रदेश विवि के पुस्तकालय में पिछले एक दशक से लाईब्रेरियन का पद रिक्त
संवाद सहयोगी, शिमला : हिमाचल प्रदेश विवि के पुस्तकालय में पिछले एक दशक से लाईब्रेरियन का पद रिक्त पड़ा है। वहीं स्टाफ की कमी से पुस्तकालय बदहाली से जूझ रहा है। पुस्तकालय में कुल 54 स्वीकृत पदों में से 36 पद अरसे से रिक्त पड़े है। मौजूदा समय में पुस्तकालय मात्र 18 कर्मियों के सहारे ही चल रहा है। लंबे समय से विवि का पुस्तकालय डिप्टी लाईब्रेरियन के हवाले है। वहीं पुस्तकालय में तीन सहायक लाइब्रेरियन है जिनमें से दो इस वर्ष सेवानिवृत हो जाएंगे जिससे व्यवस्था और भी बदहाल हो जाएगी।
लाईब्रेरियन के न होने से पुस्तकालय की सही व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इस समय पुस्तकालय में करीब अढ़ाई लाख पुस्तकें है। छात्रों की सुविधा के लिए पुस्तकालय चौबीस घटे खुला रहता है। यहा पर विवि के आम छात्रों सहित शोध व प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र भी पढ़ने आते है। लाइब्रेरियन के न होने के चलते छात्रों को लंबे समय से वह पुस्तकें नहीं मिल रही है जो वर्तमान में उनकी जरूरतों को पूरा कर सकें। कब कौन से जर्नल व पुस्तकें लाइब्रेरी में लाई जाएं, इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा पुस्तकालय में छात्रों के बैठने की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। यहां तक कि पीने का पानी भी पुस्तकालय में नहीं है। विवि में अनेक बार पुस्तकालय का समय बदल दिया जाता है। विवि की लाईब्रेरी एक दशक से नियमित लाईब्रेरियन के अभाव में पिछड़ चुकी है।
विवि में गैर शिक्षक कर्मचारी संघ ने कई बार यह मामला प्रशासन के ध्यान में लाया लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
ऑनलाइन भी नहीं हुई लाइब्रेरी
प्रदेश विवि की पुस्तकालय को आनलाईन करने का मामला अब विवि प्रशासन भूल चुका है। एक समय में इस पुस्तकालय को ऑनलाइन करके इसे अन्य विवि के पुस्तकालय से जोड़ा जाना प्रस्तावित था। इससे छात्रों को देश विदेश के जर्नल व पुस्तकें ऑनलाईन उपलब्ध हो सकती थीं। लेकिन विवि के पुस्तकालय में नए जनरल व पुस्तकें भी उपलब्ध नहीं है। और न ही इसे ऑनलाइन करने की कवायद शुरू की गई है।
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विवि में खाली पड़े पदों को भरने के लिए वित्त कमेटी की बैठक में मामला रखा जाएगा। इसके अलावा पुस्तकालय को आनलाइन करने की प्रकिया अभी चल रही है। जल्द ही इसे हाइटैक किया जाएगा।
-प्रो. राजेंद्र सिंह चौहान, प्रतिकुलपति
हिमाचल प्रदेश विवि।