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बारिश की बूंदों का समझा मोल

रश्मिराज भारद्वाज, शिमला पानी का मोल पहाड़ी लोगों से बेहतर भाल कौन जान सकता है। खासकर गर्मियों क

By Edited By: Published: Thu, 29 Jan 2015 05:51 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 05:51 PM (IST)

रश्मिराज भारद्वाज, शिमला

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पानी का मोल पहाड़ी लोगों से बेहतर भाल कौन जान सकता है। खासकर गर्मियों के मौसम में जब बड़े-बड़े पेयजल स्त्रोत जवाब दे जाते हैं तब पानी की असली कीमत पता चलती है। शहरों में पिछले कुछ साल से आबादी का दबाव तो लगातार बढ़ा है, लेकिन अंग्रेजों के जमाने में बिछाई गई अधिकतर पेयजल योजनाएं अब दम तोड़ने लगी हैं। ऐसे में शिमला में जलसंकट अब आम बात है। कुछ लोगों ने चुनौती को स्वीकारते हुए जल संकट से निपटने की दिशा में पहल की है। जल संकट से निपटने के लिए शिमला में निजी स्कूलों सहित होटल व्यवसायी भी वर्षा जल संग्रहण की ओर मुड़ गए हैं। हालांकि अभी यह प्रक्रिया आरंभिक दौर पर है, लेकिन यह सतत प्रक्रिया ही आगे चलकर बड़ा परिवर्तन लाएगी। शिमला में स्थित ब्राइटलैंड होटल के मालिक सुरिंद्र सिंह ने वर्षा जल संग्रहण तकनीक अपनाकर परिवर्तन की दिशा की ओर अपना कदम बढ़ाया है। सुरिंद्र सिंह ने आसमान से अमृत के समान बरसने वाली बारिश की बूंदों को टैंक में एकत्रित कर सदा के लिए जल संकट से निजात पा ली है। शिमला में भले ही अब कितना भी भीषण पेयजल संकट हो, लेकिन ब्राइटलैंड होटल में रोजाना की जरूरत को पूरा करने के लिए हर समय पानी उपलब्ध रहता है।

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पेयजल संकट से मिली निजात

गर्मियों के दिनों में होटल ब्राइटलैंड में भी पेयजल संकट रहता था, लेकिन सुरिंद्र सिंह ने इस समस्या से निपटने के लिए वर्षा जल संग्रहण तकनीक को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। अब नगर निगम शिमला से जो सप्लाई मिलती है, उसे पीने के प्रयोग में लाया जाता है, जबकि टैंक में एकत्रित पानी को होटल में कपड़े धोने, शौचालय व फूलों व क्यारियों के सींचने के प्रयोग में लाया जाता है। इससे पहले यहां टैंकर के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाती थी।

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आबादी बड़ी योजनाएं वहीं पुरानी

शिमला शहर में आबादी का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन पेयजल आपूर्ति करने वाली अधिकतर योजनाएं वर्षो पुरानी हैं। ऐसे में शिमला में अब पेयजल संकट अब आम बात हो गई है। गर्मियों के दिनों में तो लोगों को तीन से चार दिन बाद पानी की सप्लाई दी जाती है। ऐसे में शहर की आम जनता सहित होटल कारोबारियों व निजी स्कूलों व सरकारी व निजी कार्यालय में पेयजल का ही भीषण संकट पैदा हो जाता था, जबकि रोजाना की जरूरत को पूरा करना तो दूर की बात है। ऐसे में पानी के महत्व को समझते हुए कुछ लोगों ने वर्षा जल संग्रहण तकनीक को अपनाना ही बेहतर समझा।

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80 हजार की क्षमता

मानसून सीजन में बारिश का पानी सड़कों में बेकार बहकर बर्बाद न हो, इसके लिए अब ब्राइटलैंड होटल में 80 हजार क्षमता का वर्षा जल संग्रहण टैंक बनाया गया है। इसमें केवल मानसून सीजन में बरसने वाले बारिश के पानी को ही एकत्रित नहीं किया जाता है बल्कि सर्दियों व अन्य दिनों में होने वाली बारिश की एक भी बूंद अब सड़क पर बेकार बहकर बर्बाद नहीं होती है। छत का सारा पानी पाइप के माध्यम से धरातल में बनाए गए टैंक में एकत्रित किया जाता है।


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