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अब मिलकर होगा हिमनदों पर शोध

राज्य ब्यूरो, शिमला : देशभर के हिमनदों (ग्लेशियर) पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने एक-दूसरे से जुड़े रहने

By Edited By: Published: Sat, 01 Nov 2014 01:26 AM (IST)Updated: Sat, 01 Nov 2014 01:26 AM (IST)
अब मिलकर होगा हिमनदों पर शोध

राज्य ब्यूरो, शिमला : देशभर के हिमनदों (ग्लेशियर) पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने एक-दूसरे से जुड़े रहने का निर्णय लिया है। इससे हिमनदों किए जा रहे अध्ययन, अनुभव व सामान्य आंकड़ों को वैज्ञानिक साझा कर सकेंगे और समस्या से निपटने के लिए रास्ता भी मिलेगा। बढ़ते तापमान के कारण पिघलते हिमालयन हिमनदों पर मंथन के लिए शिमला में जुटे वैज्ञानिक ने एक साथ काम करने का फैसला लिया है।

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केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा स्टेट सेंटर ऑफ क्लाइमेट चेंज की ओर से शिमला में दो दिवसीय सम्मेलन का शुक्रवार को समापन हो गया। विशेषज्ञ एसएस रंधावा ने बताया कि सम्मेलन में हिमनदों पर शोध करने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने का निर्णय भी लिया है। इस कड़ी में युवा वैज्ञानिकों को कार्यक्रम में सम्मानित भी किया गया। सम्मेलन में लगाए पोस्टर में से श्रेष्ठ तीन को पुरस्कृत किया गया है। इसमें प्रथम पुरस्कार देहरादून के डॉ. भानु प्रताप को मिला है, जबकि दूसरा पुरस्कार बंगलौर की मीनाक्षी तथा तृतीय स्थान श्रुति सिंह ने प्राप्त किया है। शुक्रवार को अहमदाबाद, लखनऊ से डॉ. नवीन, जवैल, सीवी सांगेवार ने ग्लेशियर पर किए शोध पर प्रस्तुतिकरण दिया, जिसमें बताया गया कि हिमनद जब पीछे होते थे तो पर्यावरण कैसा होता था। वर्तमान व अतीत के पर्यावरण में क्या व कितना अंतर आया है, इसे वैज्ञानिक तकनीक से प्रस्तुत किया गया। सेमिनार में 63 संस्थानों के वैज्ञानिकों ने भाग लिया, जिनमें मुख्यत: सर्वे ऑफ इंडिया लखनऊ, आइआइएससी बंगलौर, स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद, बीएसआइपी लखनऊ, वाडिया इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन जूलॉजी देहरादून, एनआइएच रूडकी, जेएनयू दिल्ली, आइआइटी दिल्ली, आइआइटी मुंबई कश्मीर यूनिवर्सिटी श्रीनगर, गरहवाल विश्वविद्यालय श्रीनगर, एमएस विश्वविद्यालय बडोडरा, शारदा विश्वविद्यालय नोयडा, एसएएसई चंडीगढ के अतिरिक्त अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम तथा हिमाचल प्रदेश से विज्ञान, तकनीकी एवं पर्यावरण से राज्य परिषद शामिल रहे। सम्मेलन में जितने भी शोध कार्य प्रस्तुत किए गए उनकी एक समायोजित रिपोर्ट तैयार की जाएगी।


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