अवैध भवन नियमित करने की पॉलिसी पर हो पुनर्विचार
राज्य ब्यूरो, शिमला : भाजपा ने प्रदेश सरकार की अवैध भवनों को नियमित करने की पॉलिसी को लोगों की आखों में धूल झोंकने वाली व गरीब आदमी की कमर तोड़ने वाली बताकर इसपर पुनर्विचार करने की माग की हैं। पार्टी प्रवक्ता गणेश दत ने कहा कि इस नीति के तहत दाम इतने अधिक हैं कि गरीब आदमी अपने भवनों को नियमित ही नहीं करवा सकता है। इस पॉलिसी में जहा एटिक व बेसमेंच को भवन की मंजिल मानी है तथा छह मंजिल तक नियमित करने की बात कही गई है। यदि बेसमेंट और एटिक को मंजिल माना जाए तो केवल चार मंजिलें ही नियमित हो पाएंगी जबकि मर्ज एरिया में लोगों ने सात मंजिलें तक बना रखी हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार ने गिने चुने लोगों व बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए नई भवन नियमितीकरण पॉलिसी लाई है। नई पॉलिसी केवल काग्रेस भवन को नियमित करने के लिए लाई गई है। आम जनता का पॉलिसी में ज्यादा ध्यान नहीं रखा गया है। जो रेट रेगुरलाइजेशन के लिए कंपाउंड करने के लिए लाए गए हैं, उसमें कई लोगों को एक मंजिल नियमित कराने के लिए 8 से 10 लाख तक जुर्माना देना पड़ सकता है। जिस व्यक्ति की एक भी मंजिल नक्शे के अनुसार नहीं बनी है व उसका नक्शा पास नहीं है तो उसे एक करोड़ रुपये तक भी जुर्माना देना पड़ सकता है। ऐसा लग रहा है कि सरकार की पॉलिसी व्यवहारिक नहीं है व यह विशेष लोगों के लिए विशेष परिस्थितियों में लाई गई है। सरकार को स्पष्ट पॉलिसी लानी चाहिए जिससे आम लोगों का भला हो ।
भाजपा ने सरकार से पूछा है कि 70 प्रतिशत अवैध निर्माण तक के भवनों को नियमित करने के पीछे का उदेश्य क्या है? यह 70 प्रतिशत तक की लाइन किस लिए खींची गई है, कम या ज्यादा क्यों नहीं?