शंकर के इलाज को बढ़े कई हाथ
संवाद सहयोगी, शिमला : आइजीएमसी में बीते कई दिनों से लाचार पड़े मजदूर शंकर के इलाज को अस्पताल प्रशासन ने सरकार से सीएम रिलीफ फंड से पैसा देने की मांग की है, जबकि फंड समय रहते न मिलने की स्थिति में कर्मचारी पैसे एकत्र कर यह बीड़ा उठाने के लिए तैयार हैं। दूसरी ओर अब शंकर को प्राथमिक उपचार मिलना भी शुरू हो गया है। दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद अस्पताल प्रशासन हरकत में आया है। साथ ही और भी कई हाथ उसकी मदद करने के लिए बढ़े हैं, जिनमें अस्पताल के कर्मचारी भी शामिल है। जो मरीज अब तक फर्श पर लावारिस की तरह दिन रात काट रहा था अब उसका एक्स-रे व एमआरआइ किया जा रहा है। इलाज संबधी अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए भी अस्पताल प्रशासन तैयार है। जिससे संभावनाएं बढ़ गई है कि मजदूर शंकर अब ठीक होकर ही मध्य प्रदेश स्थित अपने गांव पहुंचेगा। 30 वर्षीय शंकर को पहले जहां ठेकेदार ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए घायल हालत में आइजीएमसी आपातकालीन वार्ड में छोड़ दिया था। वहीं प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में भी एक तीमारदार उसके साथ खड़ा नहीं हुआ।
आलम यह हुआ कि सांगला बस हादसे के घायल अस्पताल पहुंचते ही प्रशासन ने स्पाइनल इंजरी से पीड़ित शंकर को आपातकालीन वार्ड से ग्रीन हाउस व फिर अस्पताल डिस्पेंसरी के बाहर दर्द से कराहने के लिए छोड़ दिया, मगर अब प्रशासन ने अस्पताल की सेवा भारती संस्था को इसकी देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी है और समय-समय पर चिकित्सक व कर्मचारी भी हाल पूछने पहुंच रहे हैं, जबकि अस्पताल पहुंचाने वाले ठेकेदार का अब तक कोई पता नहीं। शंकर मध्य प्रदेश के सारा गांव का रहने वाला है, जो अपनी बूढ़ी मां का इकलौता बेटा है।
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बयान
शंकर का इलाज सीएम रिलीफ फंड से करवाया जाएगा। राशि के लिए आवेदन कर दिया है। कर्मचारी भी उसकी मदद के लिए पैसे इकट्ठे करने को तैयार हैं। शंकर घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी अब अस्पताल प्रशासन निभाएगा।
- डॉ. रमेश चंद,
वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक,
आइजीएमसी।