नाग पंचमी पर पूजा से दूर होता है कालसर्प योग
जागरण संवाद केंद्र, शिमला : भारतीय संस्कृति में नागपंचमी नागों को समर्पित हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार इस वर्ष एक अगस्त को मनाया जाएगा। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि एक अगस्त को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर आरंभ हो जाएगी, जबकि दो अगस्त को सुबह आठ बजकर पांच मिनट तक रहेगी।
नागपंचमी पर्व का शास्त्रों में बहुत महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान शंकर के साथ नाग की पूजा करने से अनेक दोष समाप्त हो जाते हैं। खासकर कालसर्प योग के दुष्परिणाम को दूर करने के लिए नाग पंचमी सुनहरा मौका बताया गया है। इसके अलावा शनि की साढ़ेसाती वाले लोगों को लिए भी ग्रह शांति में यह पर्व महत्वपूर्ण पर्व है। कालसर्प दोष का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं क्योंकि जिन लोगों की कुंडली में यह दोष होता है उन्हें अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जैसे विवाह, सन्तान में विलम्ब, दाम्पत्य जीवन में असंतोष, मानसिक अशाति, स्वास्थ्य हानि, धनाभाव व प्रगति में रुकावट आदि, लेकिन नाग पंचमी के दिन शिवलिंग के साथ नाग देवता के पूजन से काल सर्प योग तथा शनि की साढ़साती का प्रभाव खत्म होता है। इसलिए नागपंचमी पर्व को इन ग्रह योगों की शांति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
मंदिर में चढ़ाएं नाग-नागिन का जोड़ा
आचार्य मस्तराम शर्मा के अनुसार नाग पंचमी पर्व के दिन जिन लोगों की कुंडली में काल सर्प दोष हो वे चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा नाग मंदिर या शिव मंदिर में चढ़ाएं जिससे काल सर्प दोष का निवारण हो जाएगा। इसके अलावा इस दिन शिवलिंग अभिषेक व नाग की पूजा करने का भी विधान है। सुख समृद्धि की प्राप्ति, पारिवारिक जीवन की सुख कामना के लिए नाग पंचमी के दिन शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग अभिषेक करें व नाग को दूध पिलाए। पूजा शिवालय या अपने घर पर भी करवा सकते हैं।