खुद औषधियां ले जाकर हो रहा पंचकर्म
संवाद सहयोगी, जोगेंद्रनगर : आयुर्वेदिक फार्मेसी अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं हांफ गई हैं। यहां पर
संवाद सहयोगी, जोगेंद्रनगर : आयुर्वेदिक फार्मेसी अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं हांफ गई हैं। यहां पर मरीजों को पंचकर्म चिकित्सा पद्धति का लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश आयुर्वेदिक विभाग ने पंचकर्म चिकित्सा को प्राथमिकता देते हुए जोगेंद्रनगर आयुर्वेदिक अस्पताल में लाखों रुपये के उपकरण व भवन का निर्माण तो करवा रखा है, लेकिन पंचकर्म करवाने के लिए स्टॉफ की कमी के कारण लाभ नहीं मिल पा रहा है। पंचकर्म क्रिया के अंतर्गत आने वाली वमन, विरेचन, रक्त मोक्षण व नस्य तथा पंचकर्म से पहले करवाई जाने वाली स्नेहन व सवेदन क्रियाओं को करवाने का जिम्मा एक महिला चिकित्सक के हवाले है। यहां पर पंचकर्मा करवाने वाले मरीजों को यह सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा स्नेहन कर्म में पुरुषों की मसाज करने के लिए पुरुष चिकित्सक का पद भी वर्षो से खाली है। यहां पर औषधियुक्त तेल की भी कमी बरकरार है। अस्पताल में महामाश, गुड़चयादि व महानाराया आदि जैसे महंगे तेलों पर मरीजों को ही खर्चा करना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त पंचकर्म में इस्तेमाल की जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण औषधियां भी मरीजों को स्वयं ही लानी पड़ रही हैं। स्टॉफ व औषधियों के अभाव के कारण यहां पर मरीजों ने भी आना कम कर दिया है। वर्ष 2016 फरवरी से अगस्त तक महज 226 मरीजों ने ही पंचकर्म चिकित्सा क्रिया के माध्यम से अपने शरीर का शोधन कर विषैले तत्वों से छुटकारा पाया है।
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प्रदेश के अधिकतर आयुर्वेदिक अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी बनी हुई है। इस अस्पताल में पंचकर्मा चिकित्सा के लिए पुरुष चिकित्सक व अन्य रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए प्रयास जारी हैं। अस्पताल की अन्य समस्याओं की जानकारी लेने के लिए निरीक्षण किया जाएगा। शीघ्र ही इस अस्पताल में पंचकर्म के चिकित्सक व आवश्यक औषधियों को उपलब्ध करवाया जाएगा।
-सुरेंद्र माल्टू, संयुक्त निदेशक आयुर्वेदिक विभाग शिमला।