प्रदेश का पहला खुला शौचमुक्त जिला बना मंडी
जागरण संवाददाता, मंडी : केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मंडी जिला को खुला शौचमुक्त घोषित कर दिया
जागरण संवाददाता, मंडी : केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मंडी जिला को खुला शौचमुक्त घोषित कर दिया है। इस उपलब्धि से मंडी जिला के ताज में एक और नगीना जुड़ गया है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक टीम ने गत माह जिला प्रशासन के दावों की सत्यतता जानने के लिए सभी 469 पंचायतों का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के बाद टीम ने केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। मंडी जिला के खुला शौचमुक्त होने के बाद केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने उपायुक्त संदीप कदम को छत्तीसगढ़ में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के समारोह के लिए बुलाया है। देश के चार राज्यों हिमाचल, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक व सिक्किम ने अपने 16 जिलों के खुला शौचमुक्त होने का दावा पेश किया था। पहले चरण में आठ जिले बाहर हो गए थे। इसमें हिमाचल का लाहुल-स्पीति जिला भी शामिल था। दूसरे चरण में आठ जिलों का आकलन किया गया। इस उपलब्धि के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र चौधरी पहले ही उपायुक्त संदीप कदम को दिल्ली में बुलाकर उनकी पीठ थपथपा चुके हैं।
सरकार ने करवाया था निरीक्षण
प्रदेश सरकार ने प्रशासन के इस दावे की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर जिले की सभी 469 पंचायतों का 18 से 31 जनवरी तक निरीक्षण करवाया था। इसके बाद केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रेषित की थी।
मंडी में बने 1,52,204 व्यक्तिगत शौचालय
मंडी की 469 पंचायतों में 2,41,703 परिवार हैं। निर्मल भारत अभियान के प्रथम चरण में जिले में 1,52,204 व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण हुआ था। 2015 में स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने के बाद जिलेभर में 15249 शौचालयों का निर्माण करवाया गया था।
लोगों को जागरूक करने के लिए चलाए गए थे अभियान
लोगों को शौचालय निर्माण के प्रति जागरूक करने के लिए हर पंचायत में महिला मंडल, युवक मंडल, स्वयं सहायता समूह व पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाए गए। इसमें कला जत्थों का भी योगदान लिया गया। प्रथम व द्वितीय चरण के अभियान में जिले भर के लोगों ने 1,67,453 व्यक्तिगत शौचालय बनाए गए।
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केंद्र सरकार ने मंडी जिला को खुला शौचमुक्त घोषित किए जाने की घोषणा की है। यह प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
- संदीप कदम, उपायुक्त मंडी।