रिवालसर से छुड़ाए बाल मजदूर सुंदरनगर भेजे
जागरण संवाददाता, मंडी : हिंदू सिख व बौद्ध धर्म की आस्था स्थली रिवालसर के होटल व ढाबों से छुड़ाए गए बिहार के गया जिला के 10 बाल मजदूरों को बाल कल्याण समिति ने बाल आश्रम सुंदरनगर में भेज दिया है। मंगलवार को ईद की छुट्टी होने के कारण इस मामले में कोई भी आगामी कार्रवाई नहीं हो पाई। छुड़ाए गए सभी 10 बाल मजदूरों का अब बुधवार को जोनल अस्पताल मंडी में मेडिकल निरीक्षण होगा। मेडिकल निरीक्षण से उनकी सही आयु का पता चल पाएगा। चाइल्ड हेल्पलाइन अब तक करीब 68 बाल मजदूरों को जिला के विभिन्न होटलों, ढाबों व घरों से छुड़वा चुकी है। इनमें ज्यादातर बच्चे उनके अभिभावकों को सौंपे जा चुके हैं। कुछ बच्चे शिमला व डैहर के अनाथ आश्रम में पढ़ रहे हैं। वहीं, रिवालसर के होटल व ढाबों से छुड़ाए गए बच्चों की रिपोर्ट बाल कल्याण समिति बुधवार को श्रम विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस मामले में श्रम विभाग आरोपियों के विरुद्ध अगली कार्रवाई अमल में लाएगा। बाल कल्याण समिति वैसे दूरभाष पर श्रम विभाग को होटल व ढाबों से 10 बाल मजदूर छुड़ाने की जानकारी दे चुकी है। जिन होटल, ढाबों व सब्जी की दुकानों से यह बच्चे छुड़ाए गए हैं, श्रम विभाग अब उन सभी का रिकार्ड खंगालेगा। बच्चों के आयु प्रमाणपत्र व पंजीकरण आदि दस्तावेजों की जांच होगी। विभाग आरोपियों के चालान काट कर श्रम आयुक्त को आगामी कार्रवाई के लिए भेजेगा। आरोप तय होने पर 20 हजार जुर्माना व दो साल की सजा का प्रावधान है। श्रम निरीक्षक मंडी भावना शर्मा का कहना है कि बाल कल्याण समिति की तरफ से रिवालसर में होटल व ढाबों से 10 बाल मजदूर छुड़ाने की लिखित रिपोर्ट अभी विभाग को नहीं मिली है। दूरभाष पर सूचना जरूर मिली है। जल्द ही आरोपियों से रिकार्ड तलब किया जाएगा।
रिवासलर में अब भी धड़ल्ले से हो रही बाल मजदूरी
-भूमिगत हुआ बच्चों को खरीदने व बेचने का आरोपी
संवाद सहयोगी, रिवालसर : रिवालसर में कई साल से अन्य राज्यों से खरीदकर बाल मजदूरों से जबरन मजदूरी करवाए जाने का धंधा फलीभूत हो रहा है। सोमवार को पुलिस व चाइल्ड लाइन मंडी के सहयोग से दस बाल मजदूरों को छुड़वाने के बावजूद अभी भी रिवालसर के कई स्थानों पर बाल मजदूरी करवाई जा रही है। बाल मजदूर मुहैया करवाने के लिए रिवालसर में कुछ दलाल बाल मजदूरों को बिहार व उत्तर प्रदेश से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों से संपर्क साथ कर उनका सौदा दो से तीन हजार रुपये में प्रतिवर्ष के हिसाब से करके उन्हें आगे जरूरतमंद लोगों से कमीशन खाकर उनका सौदा करके बाल मजदूरी के धंधे में धकेल देते हैं। गरीबी व परिवार की तंगहाली की मजबूरी के कारण बच्चों से उनका बचपन छीनकर उन्हें कड़ी मेहनत कर मजदूरी करने पर मजबूर किया जा रहा है। इधर, चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक मूल राज ने बताया कि शेष बच्चे हुए बच्चों को शीघ्र ही बाल तस्करी के चंगुल से छुड़ाने का अभियान जारी रहेगा। उधर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कुलदीप राणा ने बताया कि चाइल्ड लाइन जब भी पुलिस सहायता की मांग करेगा तो पुलिस भेज दी जाएगी।