सूखे की मार से किसान बेहाल
संवाद सूत्र, बजौरा : बारिश के लिए लोग देवी-देवताओं के दरबार में पहुंचकर फरियाद कर रहे हैं। सूखे ने ल
संवाद सूत्र, बजौरा : बारिश के लिए लोग देवी-देवताओं के दरबार में पहुंचकर फरियाद कर रहे हैं। सूखे ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस बीच फसलों की बिजाई का समय भी निकलता जा रहा है। लोग गेहूं, लहसुन, प्याज, जौ, मटर आदि की बिजाई नहीं कर पा रहे हैं। बगीचों में भी काम ठप पड़ गया है।
किसानों-बागवानों का कहना है कि हालात ऐसे ही रहे तो रोटी के लाले पड़ जाएंगे। कुल्लू के बंजार, पार्वती घाटी सहित अन्य कई इलाकों में लहसुन नगदी फसल है और इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। सूखे के कारण लहसुन की बिजाई का समय निकलता जा रहा है। ऐसे में उत्पादन प्रभावित होने की ¨चता किसानों को खाए जा रही है। जिला कुल्लू में अधिकतर क्षेत्र ¨सचाई के लिए बारिश पर निर्भर रहता है। बारिश न होने से आगामी फसल का क्या होगा, इस बात को लेकर परेशान हैं। बजौरा के किसान नरोत्तम ठाकुर, हरि ¨सह, संजय कुमार, दीपक, गड़सा के हीरा लाल, नरेश ठाकुर, गुमत राम, रोशन लाल, दियार क्षेत्र के चमन लाल, संजू ठाकुर, राम लाल, गो¨वद राम, प्रेम चंद, विवेक आदि ने कहा कि फसलों की बिजाई ही नहीं होगी तो आने वाले समय में क्या कमाएंगे और क्या खाएंगे। बागवान दिले राम ठाकुर, खूब राम, मोहन लाल शर्मा, दयानंद ठाकुर, अनूप राम आदि ने कहा कि बगीचों में न तो सेब के पेड़ों के तौलिए बना पा रहे हैं और न ही नए पौधे रोपने के लिए गड्ढे तैयार कर पा रहे हैं। बगीचों में पेड़ों को अब तक तौलिए बनाकर खाद डालने का काम निपट जाता था। बारिश न होने से काम रुका पड़ा है और इससे सेब सहित अन्य फलों की आगामी फसल पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
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गैर सिंचित क्षेत्रों में बागवान नए पौधों के लिए गड्ढे तैयार कर सकते हैं। हालांकि खोदाई में परेशानी होगी, लेकिन इस दौरान तैयार गड्ढों में बारिश होने के बाद पौधा लगाया जाएगा तो उस पौधे को बीमारियां आदि लगने के आसार कम रहते हैं। पेड़ों के तौलिए बनाने का काम जमीन में नमी आने के बाद करें।
-डॉ. रोशन लाल, बागवानी उपनिदेशक।
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कुल्लू में गैर सिंचित क्षेत्र अधिक है। सूखे के कारण फसलों की बुआई के लिए देरी हो रही है। बारिश होने के बाद जमीन में नमी आते ही किसान खेतों में बुआई से पूर्व विशेषज्ञों से भी सलाह लें। यदि समय निकल भी जाता है तो ऐसी स्थिति में कौन सी किस्म का बीज बोना है, इसकी जानकारी जरूरी है।
-डॉ. राजेंद्र वर्मा, कृषि उपनिदेशक।