जिला कारदार संघ पहली को करेगा बैठक
जागरण संवाददाता, कुल्लू : अधिष्ठाता रघुनाथ जी के अधिग्रहण की अधिसूचना के विरोध में कुल्लू जिला दे
जागरण संवाददाता, कुल्लू : अधिष्ठाता रघुनाथ जी के अधिग्रहण की अधिसूचना के विरोध में कुल्लू जिला देवी देवता कारदार संघ एक अगस्त को देवसदन में बैठक करेगा। इसमें सभी देवी-देवताओं के कारदार मौजूद रहेंगे। संघ ने तर्क दिया कि हर मंदिर की अपनी अलग व्यवस्था है। यहां तक कि यह भी तय है कि मंदिर के गर्भगृह में कौन और कब प्रवेश करेगा। मंदिर में पूजा कौन करेगा और वह व्यक्ति किस क्षेत्र का होगा।
जिला देवी देवता कारदार संघ के अध्यक्ष दोत राम कहते हैं कि एक अगस्त को संघ की बैठक रखी गई है। रघुनाथ मंदिर में पूजा पद्धति भिन्न है। यह भी तय है कि दिन में कितनी बार पूजा होगी और कौन पूजा करेगा। उन्होंने कुल्लू के मंगलेश्वर महादेव मंदिर का हवाला देते हुए कहा कि इस मंदिर में जब प्राचीन शिव¨लग पर बिजली गिरती है तो इसका आभास मंदिर के समीप रह रहे पुजारियों के परिवार के मुखिया को ही होता है। खंडित शिव¨लग को कैसे जोड़ना है और उसकी क्या प्रक्रिया है, इसका पता उसी परिवार को है। यदि इस मंदिर का अधिग्रहण कर वहां किसी व्यक्ति को पूजा का काम सौंपा जाए तो ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति क्या करेगा। बिजली महादेव में भी यही व्यवस्था है। रघुनाथ मंदिर में स्वयं छड़ीबरदार महेश्वर ¨सह भी अंदर नहीं जाते। उन्हें भी देव आदेश पर विशेष मौकों पर ही अंदर जाने की अनुमति है। दोत राम बताते हैं कि देवी-देवताओं के मंदिर में पूजा कौन करेगा, कारदार कौन होगा, देवता के किस वाद्य यंत्र को कौन नियंत्रित करेगा और देवता की पूजा के लिए फूल किस बाग से आएंगे और कौन लाएगा, यह सब तय है। रघुनाथ जी तो अधिष्ठाता हैं और कुल्लू के सभी देवी-देवता इनके मंदिर में हाजिरी भरते हैं। सरकार अपने नियंत्रण में मंदिर को लेकर किससे पूजा करवाएगी और किसे भंडार कक्ष में भेजेगी, इसकी क्या गारंटी है। कारदार संघ के पदाधिकारियों में हीरा लाल, राज महंत, झाबे राम, जो¨गद्र आचार्य, भागे राम राणा, प्रकाश ठाकुर ने कहा कि रघुनाथ जी की पूजा सहित अन्य उत्सवों के नियम अलग है। एक ओर सरकार संस्कृति के संरक्षण का राग अलापती है तो वहीं संस्कृति का विनाश करने पर तुली हुई है। एक अगस्त को बैठक कर कारदार संघ आगामी रणनीति तय करेगा। मंदिर के अधिग्रहण की प्रक्रिया संघ को मंजूर नहीं है।