नजर-ए-इनायत को तरस रही चैहणी कोठी
शीला कौल, बंजार जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में स्थित ऐतिहासिक चैहणी कोठी दुर्दशा पर आंसू बहा रही
शीला कौल, बंजार
जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में स्थित ऐतिहासिक चैहणी कोठी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। इस कोठी पर अभी तक किसी की नजर-ए-इनायत नहीं हो पाई है। 18वीं सदी में बनी अद्भुत भवन निर्माण शैली की यह कोठी अब ढहने के कगार पर। इसके संरक्षण के लिए न तो पुरातत्व विभाग कोई गंभीर प्रयास कर रहा है और न ही सरकार इसकी तरफ ध्यान दे रही है। अनदेखी से आने वाले समय में जल्द ही यह कोठी ऐतिहासिक पन्नों में सिमट कर रह जाएगी। चैहणी कोठी का निर्माण 18वीं शताब्दी में क्षेत्र के राजा ढाडिया ठाकुर ने किया था। इसके सबसे ऊपरी हिस्से में बनी खिड़कियों से राजा अपनी सीमाओं पर आक्रमण करने वाले दुश्मनों पर नजर रखते थे। ब्रिटिश शासकों के समय इस कोठी को राजा ठाकुर इसे चबूतरे के रूप में इस्तेमाल करता था।
पुरातात्विक स्तंभ की दृष्टि से विशालकाय काष्ठकुणी शैली की 250 फुट के ऊंची यह चैहणी कोठी 1905 के विनाशकारी भूकंप में भी खड़ी रही थी। इस विशालयकाय सात मंजिला भव्य ईमारत की 1905 के भूकंप में एक मजिला ही ढही थी। मजबूत भवन निर्माण शैली में बनी इस कोठी में हालाकि उसके बाद धीरे-धीरे दरार पड़ती गई लेकिन उस विनाशकारी भूकंप से इतनी ऊंची कोठी खड़ी रहना निश्चित ही अद्भूत भवन निर्माण शैली का प्रमाण मिलता है।
कोठी पर चले गोलियों के निशान आज भी यहां मौजूद है। बताया जाता है कि ढाडिया ठाकुर नाम के राजा के समय में दुश्मनों ने यहा आक्रमण किया था और चबूतरे के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाली इस कोठी पर भी गोलियों की बौछार हुई थी, जिसके निशान आज भी देखे जा सकते है।
इसकी खासियत यह भी थी कि उस समय ठाकुर ने इस कोठी के अंदर से सुरंग भी बना रखी, जिसे आपातकालीन स्थिति में दुश्मनों को चकमा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता था लेकिन यह आज बंद पड़ी है।
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चैहणी कोठी में दरारे पड़ चुकी है। पुरातत्व विभाग इस के संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है। यदि ऐसी ही उपेक्षा होती रही तो यह कोठी जल्द ही इतिहास बन जाएगी। इस कोठी की अद्भूत शैली को देखते क्षेत्रवासी इसे धरोहर का दर्जा देने की माग करते आए है।
भगत राम ठाकुर, समाजसेवी एवं संयोजक बंजार विकास मंच