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यहां ज्वाइंट और कणी के नाम से मिलती है चरस

धर्मशाला व आसपास क्षेत्रों नशा खुले तौर पर बिक रहा है और प्रदेश के कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ा रहा है।

By Edited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 09:29 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 11:29 AM (IST)
यहां ज्वाइंट और कणी के नाम से मिलती है चरस
यहां ज्वाइंट और कणी के नाम से मिलती है चरस

जेएनएन, धर्मशाला। भले ही प्रदेश सरकार ने नशे के खिलाफ कड़े नियम बनाए हैं लेकिन जिला कांगड़ा के नूरपुर के बाद धर्मशाला व आसपास के क्षेत्रों में नशा खुले तौर पर बिक रहा है। हालांकि पुलिस प्रशासन ने जिलेभर में विशेष गुप्त सूत्र भी रखे हैं, लेकिन ऐसे लोगों को गच्चा देने और उनकी चपेट में आने से बचने के लिए नशा तस्करों ने उससे भी आगे बढ़कर तैयारियां कर ली हैं।

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धर्मशाला क्षेत्र में अन्य नशों के मुकाबले चरस तस्करी सबसे ज्यादा होती है। मुख्य रूप से मैक्लोडगंज इससे ज्यादा प्रभावित है, क्योंकि यह पर्यटन स्थल है और यहां कई पर्यटक सिर्फ नशे के लिए ही आते हैं। पुलिस ने भी बड़ी से बड़ी प्ला¨नग बनाकर रखी है। मैक्लोडगंज में यह स्थिति है कि यहां चरस केवल कोर्डवर्ड से ही मिलती है। अगर कोई किसी तस्कर से चरस की मांग करता है वह स्पष्ट तौर पर कह देते हैं कि यहां यह सब नहीं बिकता है। क्षेत्र में चरस सिर्फ ज्वाइंट व कणी के नाम से ही बिकती है।

मैक्लोडगंज में चरस 3 हजार रुपये प्रति दस ग्राम के हिसाब से बिक रही है, जबकि उससे कम स्तर वाली 2 हजार व 25 रुपये प्रति दस ग्राम के हिसाब से बिक रही है। दो वर्ष पूर्व तक इसका मूल्य एक हजार से 1200 रुपये प्रति दस ग्राम होता था।

नशा करना है तो खेल का नशा करें और खेल व पढ़ाने से जुड़ें। खेल के जुड़े व्यक्ति के पास नशीले पदार्थों के बारे में सोचने का समय ही नहीं होता है। पढ़ाई व खेल का नशा करने वाला व्यक्ति समाज व परिजनों का नाम रोशन करता है।

नवीन रणौत, राष्ट्रीय कराटे कोच।

धर्मशाला क्षेत्र के युवा शराब व अन्य नशे छोड़कर चरस व हेरोइन की गिरफ्त में आ रहे हैं। अक्सर शहर में इस तरह का नशा किए लोग देखने को मिल जाते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि चरस मेडिकल में भी नहीं आती है।

राज भार्गव।

शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों में नशे की प्रवृति बढ़ गई है और इसे सभी को मिलकर रोकना जरूरी है। इसके अलावा ऐसे युवाओं को नशा छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

अमन धीमान।

सभी लोगों को पुलिस प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे नशे के खिलाफ विशेष अभियान में सहयोग करना चाहिए। अपने-अपने क्षेत्र को नशामुक्त बनाने में सहभागिता निभानी चाहिए।

रजत।

नशा तस्करों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। जब तक लोगों में नशा त्यागने की मानसिकता विकसित नहीं होगी, तब तकनशा तस्करों की सफाई नहीं हो सकती है। नशे के खिलाफ पुलिस का सहयोग करें। संतोष पटियाल, एसएसपी कांगड़ा।

पकड़े गए मामले वर्ष 2018 कुल मामले : 270

गिरफ्तार : 311 (285 हिमाचली, 26 गैरहिमाचली)

चरस : 20 किलो, 267 ग्राम

-अफीम : 251 ग्राम

-हेरोइन : 646 ग्राम

-नशीले कैप्सूल : 28783

-नशीली दवाएं : 8,818 वर्ष 2017

-चरस : 16 किलो 360 ग्राम

-अफीम : 66.16 ग्राम

-भुक्की : 60 किलो 587 ग्राम

-हेरोइन : 642.64 ग्राम

-नशीले कैप्सूल : 21,638

-नशीली दवाएं : 6,618

-सिरप : 107 बोतल


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