18 क्विंटल मक्खन से होगा मां बज्रेश्वरी का श्रृंगार
मां बज्रेश्वरी देवी मंदिर में मकर संक्रांति पर होने वाले घृत पर्व के लिए मंदिर प्रशासन ने तैयारियों को पूरा कर लिया है। आज से यहां मक्खन बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
कांगड़ा [योगेश धीमान] : मां बज्रेश्वरी देवी मंदिर में मकर संक्रांति पर होने वाले घृत पर्व के लिए मंदिर प्रशासन ने तैयारियों को पूरा कर लिया है। मां की पिंडी पर चढ़ाए जाने वाले मक्खन को बनाने की प्रक्रिया आज से शुरू हो रही है। मक्खन बनाने के लिए डेढ़ क्विंटल देसी घी भी मंदिर पहुंच चुका है। इस बार 18 क्विंटल मक्खन से मां का श्रृंगार किया जाएगा। हालांकि घृत पर्व के लिए अभी कुछ समय है, लेकिन पुजारी शुक्रवार से मक्खन बनाने की प्रकिया को शुरू कर देंगे ताकि घृत पर्व तक 18 क्विंटल मक्खन बनकर तैयार हो सके।
पढ़ें: नवरात्र : हिमाचल के इन शक्तिपीठों में होती है मनोकामना पूर्ण
क्या है मान्यता
मां बज्रेश्वरी देवी का मंदिर अकेला ऐसा है जहा माघ माह में होने वाले पर्व के बाद मिलने वाले मक्खनरूपी प्रसाद को आप खा नहीं सकते है। मान्यता है कि चर्म रोगों और जोड़ो के दर्द में लेप लगाने के लिए यह प्रसाद रामबाण सिद्ध होता है। यह परंपरा सदियो से चली आ रही है और शक्तिपीठ मां बज्रेश्र्वरी के इतिहास से संबंधित है। कहते है कि जालंधर दैत्य को मारते समय मां के शरीर पर कई चोटें लगी थी और घावो को भरने के लिए देवताओं ने मां के शरीर पर घृत मक्खन का लेप किया था। इसी परंपरा के अनुसार 101 किलोग्राम देसी घी को 101 बार शीतल जल से धोकर इसका मक्खन तैयार कर इसे माता की पिडी पर चढ़ाया जाता है। मकर संक्रांति पर घृत मडल पर्व को लेकर यह श्रद्धालुओं की ही आस्था है कि हर बार मां की पिडी पर घृत की ऊंचाई बढ़ती जा रही है।
पढ़ें: यहां रावण ने की थी शिव की तपस्या, पुतला जलाया तो तय है मौत
मेवों व फलों से सजाई जाती है मां की पिंडी
मंदिर मे घृत पर्व में माता की पिंडी पर 18 क्विंटल मक्खन चढ़ाया जाता है। मां की पिंडी को मेवों, फूलों और फलों से सजाया जाता है। यह पर्व सात दिन चलता है। सातवें दिन पिंडी के घृत को उतारने की प्रक्रिया शुरू होती है। इसके बाद घृत प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओ में बांटा जाता है।
पढ़ें: एक अनोखा मंदिर: जहां न टिक पाती है छत, न ऊपर से उड़ पाते पंछी
आदिकाल से चल रही परंपरा
मंदिर के वरिष्ठ पुजारी कहते है कि यह प्रथा आदिकाल से चली आ रही है। घृत पर्व का प्रसाद चर्म और जोड़ो के दर्द में सहायक होता है। घृत प्रसाद के रूप मे श्रद्धालुओं में बांटा जाता है। घृत मंडल पर्व पर माता की पिंडी पर मक्खन चढ़ाने की प्रक्रिया काफी पहले शुरू हो जाती है। स्थानीय और बाहरी लोगों द्वारा मदिर में दान स्वरूप देसी घी पहुचाया जाता है। मंदिर प्रशासन घी को 101 बार ठंडे पानी से धोकर मक्खन बनाने के लिए मंदिर के पुजारियों की कमेटी का गठन करता है और यही कमेटी मक्खन की पिन्निया बनाती है। 14 जनवरी को देर सायं माता की पिंडी पर मक्खन चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू होती है और यह सुबह तक जारी रहती है।