215 बिस्तर का अस्पताल, कर्मचारी सिर्फ 39
मुकेश मेहरा, टांडा राजीव गांधी राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक कॉलेज का 215 बिस्तर का अस्पताल केवल 3
मुकेश मेहरा, टांडा
राजीव गांधी राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक कॉलेज का 215 बिस्तर का अस्पताल केवल 39 लोगों के सहारे चल रहा है। यहां पर मंजूर 65 पदों में 27 पद खाली हैं और 200 से अधिक मरीज केवल 10 नर्सिग स्टाफ के सहारे होते हैं।
आयुर्वेद को बढ़ावा देने का दावा करने वाली सरकार इसके लिए कितनी गंभीर वो इस अस्पताल की हालात से पता चलता है। यहां पर पैरामेडिकल स्टाफ के 30 पदों में 10 खाली हैं, तो मेडिकल के 14 में से 5 खाली, जबकि अन्य कर्मचारियों में भी 17 में से 12 खाली हैं। यहां पर चपरासी भी नहीं है। एक वार्ड व्बॉय से ही चपरासी का काम किया जाता है। नर्सिग स्टाफ में केवल 10 नर्से होने के कारण मरीजों की देखरेख में भी दिक्कत आती है। रेडियोलोजिस्ट न होने के कारण अल्ट्रासाउंड आदि काम भी नहीं हो रहे हैं। एक फार्मासिस्ट के आदेश यहां के लिए हुए हैं, लेकिन उसने भी अभी तक अपना पद नहीं संभाला है। कर्मचारियों की कमी के कारण कर्मियों की छुट्टियों में भी दिक्कत रहती है। सरकार को भी इस बारे में बताया गया है लेकिन कोई पुख्ता कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है। ऐसे में यहां आने वाले मरीजों के साथ-साथ अस्पताल स्टाफ को भी दिक्कतें झेलनी पड़ती है।
दो स्वीपर कैसे साफ होगी गंदगी
पूरे अस्पताल में केवल दो ही स्वीपर है। ऐसे में अस्पताल को साफ सफाई में भी दिक्कत आती है। प्रशासन सफाई व्यवस्थ चकाचक रखने के लिए प्रयासरत है।
आकेएस में नहीं है स्टाफ का प्रावधान
जानकारों की मानें तो अस्पताल में स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए आरकेएस के तहत भी स्टाफ की तैनाती नहीं हो पाई है, जबकि अन्य अस्पतालों में आरकेएस के तहत नियुक्तियां की जा सकती हैं।
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अस्पताल में स्टाफ की कमी के बारे में अधिकारियों और सरकार को बताया गया है।
-डॉ. रक्षपाल, एमएस, आयुर्वेदिक अस्पताल पपरोला।
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अस्पताल में पेश आ रही समस्याओं को जल्द दूर किया जाएगा।
-आरके पुर्थी, निदेशक आयुर्वेद विभाग।