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फोर्टिस कागड़ा में हुई पित्ते और गर्भाशय की ड्यूल सर्जरी

जागरण संवाददाता, कागड़ा : फोर्टिस अस्पताल कागड़ा चिकित्सा सेवा की हर चुनौती को स्वीकार करते हुए मरीजों

By Edited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 09:08 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 09:08 PM (IST)
फोर्टिस कागड़ा में हुई पित्ते और गर्भाशय की ड्यूल सर्जरी
फोर्टिस कागड़ा में हुई पित्ते और गर्भाशय की ड्यूल सर्जरी

जागरण संवाददाता, कागड़ा : फोर्टिस अस्पताल कागड़ा चिकित्सा सेवा की हर चुनौती को स्वीकार करते हुए मरीजों में भरोसेमंद उम्मीद बनकर उभरा है। अस्पताल ने जटिल बीमारियों के उपचार में कारगर कदम बढ़ाते हुए अब चुनौतीपूर्ण ड्यूल सर्जरी को अंजाम देकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। फोर्टिस कागड़ा के लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. नासिर अहमद भट ने अपने एडवास सर्जरी हुनर के बलबूते पित्ते और गर्भाशय की सर्जरी को एक साथ करके न केवल अपनी सर्जरी दक्षता दिखाई, बल्कि मरीज को एक ही सर्जरी प्रक्रिया से गुजार कर दो बीमारियों से निजात दिला दी। इस प्रक्रिया की सबसे अहम बात यह रही कि दोनों ही सर्जरी को लैप्रोस्कोपिक विधि द्वारा अंजाम दिया गया। कुछ दिन पूर्व मरीज अनिता कुमारी फोर्टिस अस्पताल कागड़ा के सर्जरी रोग विभाग में पेट दर्द की शिकायत लेकर जाच करवाने आई। फोर्टिस के सर्जन डॉ. नासिर अहमद ने जाच के दौरान पाया कि उनके पित्ते में पत्थरिया फंसी हुई हैं। साथ ही उन्होंने अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में पाया कि उनके गर्भाशय में काफी बड़ी रसौली भी है, जिसका जल्द उपचार जरूरी था। उन्होंने अनिता कुमारी को उनके दर्द का कारण बताते हुए लैप्रोस्कोपिक विधि द्वारा ड्यूल सर्जरी का परामर्श दिया। फोर्टिस कागड़ा के लैप्रोस्कोपिक सर्जरी स्पेशलिस्ट डॉ. नासिर अहमद ने मरीज की पूरी जाच के बाद मरीज को सर्जरी के लिए फिट पाया। डॉ. नासिर ने पित्ते की पत्थरी का ऑपरेशन कर उसे सफल अंजाम दिया, लेकिन अब चुनौती थी यूटरस और रसौली को लैप्रोस्कोपी द्वारा निकालना। डॉ. नासिर और डॉ. निधि ने अपने कौशल का परिचय देते हुए यूटरस और रसौली को बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी। फोर्टिस के विषेशज्ञ डाक्टरों की टीम पूरे कौशल के साथ इस सर्जरी की सफलता के लिए जुटी रही। सिर्फ 10 एमएम के दो व पाच एमएम के चार छिद्रों द्वारा कड़ी मशक्कत के बाद उन्होंने इस जटिल ड्यूल सर्जरी को सफल अंजाम तक पहुंचाया। इस ऑपरेशन के मात्र छह घटे के बाद मरीज ने चलने-फिरने के साथ चाय-पानी पीना शुरू कर दिया। एहतियातन मरीज को दो-तीन दिन की डॉक्टरी देखरेख के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज दे दिया गया। अब अनिता कुमारी पूरी तरह स्वस्थ हैं। डॉ. नासिर के अनुसार अगर इस ड्यूल सर्जरी को ओपन सर्जरी द्वारा किया जाता तो मरीज को कम से कम एक महीने तक डॉक्टरी देखरेख की आवश्यकता रहती है जबकि लैप्रोस्कोपिक विधि द्वारा इसी सर्जरी में मात्र तीन दिन के भीतर मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज दे दिया जाता है।


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