यहां नहीं हो रहा मरीजों का कल्याण
मुनीश सूद, पपरोला राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल पपरोला में रोगी कल्याण समिति के धन का कथिततौर पर दुरु
मुनीश सूद, पपरोला
राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल पपरोला में रोगी कल्याण समिति के धन का कथिततौर पर दुरुपयोग किया जा रहा है। आलम यह है कि जो पैसा मरीजों के कल्याण पर खर्च किया जाना चाहिए वह अन्य जगह व्यय किया जा रहा है। आयुर्वेदिक अस्पताल में सालाना लाखों रुपये मरीजों के लिए आते हैं और इसका खर्च रोगी कल्याण समिति करती है। आरकेएस में मंत्री आयुर्वेद, सचिव, निदेशक, प्रधानाचार्य आयुर्वेदिक महाविद्यालय व विधायक के अलावा गैरसरकारी व सरकारी लोग आते हैं। समिति की साल में एक या दो बैठकें होती हैं व इन्हीं में अस्पताल की समस्याओं बाबत विचार विमर्श होता है। समिति का मुख्य कार्य मरीजों को लाभ पहुंचाना होता है। लेकिन यहां कई कार्य, चाहे कॉलेज या फिर अस्पताल का हो, रोगी कल्याण समिति के धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। अस्पताल व कॉलेज प्रबंधन ने निर्णय लिया है कि अस्पताल परिसर में पार्किंग व दुकानों का निर्माण कर समिति की आमदनी को बढ़ाया जाए। इसके तहत तीन दुकानों व पार्किंग का निर्माण आरकेएस के धन से किया गया। इसके अलावा मुख्य सड़क से अस्पताल को जाने वाली सड़क को जेसीबी की सहायता से चौड़ा किया गया। साथ ही सड़क के साथ डंगा भी लगाया गया और इसके लिए समिति से 28 लाख रुपये का प्रावधान किया था। आठ लाख रुपये दुकानों के लिए व बाकी डंगे के लिए रखा गया था लेकिन 15 लाख रुपये की निकासी के बाद बाकी राशि आयुर्वेदिक विभाग ने रोक दी। इस समय आलम यह है कि जो डंगा लगाया गया है वह भी अधूरा है तथा साथ लगते स्टाफ क्वार्टर कभी भी गिर सकते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि समिति की आमदनी बढ़ाने के लिए विभाग ने रोगी कल्याण समिति के धन को ही दाव पर लगा दिया। इस प्रक्रिया में रोगी कल्याण समिति के किसी भी गैरसरकारी सदस्य को विश्वास में नहीं लिया गया।
......................
सुपरिंटेंडेंट बोले, नो कमेंट
आयुर्वेदिक अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर रशपाल धीमान का कहना है कि उन्होंने हाल ही में कार्यभार संभाला है। रोगी कल्याण समिति का धन दुकानों, डंगे व पाíकंग के लिए लगने की सूचना है। मगर कितना लगा है इस पर अभी कुछ नहीं बताया जा सकता है।
......................
बजट दो काम करवाओ
हिमुडा के एसडीओ विरेंद्र शर्मा ने बताया कि जितने कार्य के लिए आयुर्वेद विभाग ने बोला था तथा बजट दिया था वह कार्य पूरा हो चुका है। अगर और कार्य करवाना है तो विभाग को बजट का प्रावधान करना होगा।