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दिल्ली फेयर में छाए हिमाचल के उत्पाद

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) की तरफ से दिल्ली के ग्रेटर नोय

By Edited By: Published: Sun, 23 Oct 2016 06:52 PM (IST)Updated: Sun, 23 Oct 2016 06:52 PM (IST)

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) की तरफ से दिल्ली के ग्रेटर नोयडा में आयोजित हस्त शिल्प व उपहार मेले (दिल्ली फेयर) में इस बार हिमाचल के उत्पाद भी छाए रहे। अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस मेले में पहली बार हिमाचल के हस्तशिल्प उत्पाद भी एक स्टाल में नजर आए। इसमें चंबा रूमाल से लेकर, बांस व लकड़ी से बने कई आकर्षक उत्पाद शामिल थे। इन उत्पादों को विदेशी लोगों ने खूब पसंद किया। हिमाचल में ईपीसीएच की तरफ से आयोजित प्रशिक्षण के संयोजक हेमराज शर्मा तथा स्टाल में अपने उत्पादों के साथ गए साई भ्रांता की पुष्पा देवी व त्रिलोक चंद ने बताया कि उनके लिए यह बड़ी बात रही कि उन्हें पहली बार इस तरह के एक बड़े मेले में भाग लेने का अवसर मिला। इससे उन्हें हस्तशिल्प के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए उत्साह भी बढ़ा है। मेले में 110 देशों से खरीदार पहुंचे थे।

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ईपीसीएच प्रदान करेगी बेहतरीन मंच : राकेश कुमार

हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के कार्यकारी निदेशक राकेश कुमार ने बताया कि हिमाचल से हस्तशिल्प उद्योग से जुड़े लोगों बेहतरीन मंच प्रदान किया जाएगा। इसके लिए प्रयास शुरू कर दिए गए है। पालमपुर के जैंड भोडा गांव के निवासी राकेश कुमार ने बताया कि उनका शुरू से ही प्रयास रहा है कि अन्य राज्यों की तरह हिमाचल के लोग भी हस्तशिल्प के क्षेत्र में आगे आए। इसके लिए यहां कुछ प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करवाए जा रहे है। इनमें परंपरागत तरीके से हस्तशिल्प कला से जुड़े लोगों को कई आकर्षक उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हस्तशिल्प निर्यात में बीते वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष अब तक करीब 6.85 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

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चीड़ की पत्तियों से बनेगा कपड़ा

ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक राकेश कुमार ने बताया कि हिमाचल में चीड़ की पत्तियों से कपड़ा भी तैयार होगा। इससे भी हिमाचल के कई लोगों को रोजगार मिल पाएगा। उन्होंने बताया कि खुद केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा इस दिशा में कार्य कर रहे है। दिल्ली फेयर में पहुंचे अजय टम्टा ने खुद यह जानकारी दी कि जल्द ही हिमाचल व उत्तराखंड में चीड़ की जो पत्तियां जंगलों को जलाने का काम कर रही है। उन पत्तियों से केवल कपड़ा तैयार करवाया जाएगा। बल्कि चीड़ के पेड़ से कई आकर्षक उत्पाद भी बनाए जाएंगे। इस कार्य में ईपीसीएच भी पूरा सहयोग करेगा। उन्होंने बताया कि अजय टम्टा का यह प्रयास सफल होता है, तो इससे कई लोगों को रोजगार मिलेगा।


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