बिना स्टाफ जनता तक कैसे पहुंचें कल्याणकारी योजनाएं
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : जिले में कल्याणकारी योजनाओं की नाव कैसे पार लगेगी यह सवाल खड़ा हो गया है।
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : जिले में कल्याणकारी योजनाओं की नाव कैसे पार लगेगी यह सवाल खड़ा हो गया है। स्टाफ के अभाव में कल्याण विभाग की डगर आसान नहीं है। आलम यह है कि जिला कांगड़ा में तहसील कल्याण अधिकारी (टीडब्ल्यूओ) के स्वीकृत 16 पदों में से आठ पद रिक्त चल रहे हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ कैसे पात्र लाभार्थियों को मिल पाएगा।
यही नहीं वित्तीय वर्ष में बजट का व्यय कैसे हो पाएगा और सामाजिक सुरक्षा पेंशन किस तरह से बुक हो पाएगी, क्योंकि जिला कल्याण कार्यालय में केवल एक ही लिपिक का पद भरा है। यही आलम तहसील स्तर पर लिपिकों के पदों को लेकर बना हुआ है। जहां जिलास्तर पर लिपिकों के स्वीकृत छह पदों में से पांच खाली हैं, वहीं तहसील स्तर पर स्वीकृत 15 पदों में से 11 पद रिक्त चल रहे हैं। इसके अलावा अधीक्षक ग्रेड टू, अनुसंधान अधिकारी व वरिष्ठ सहायक के एक-एक स्वीकृत पद भी खाली चल रहे हैं।
वर्तमान समय में आलम यह है कि जो अधिकारी व कर्मचारी हैं उन अतिरिक्त कार्य का बोझ बढ़ गया है। जिससे उनके लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन, गृह निर्माण योजना सहित अन्य योजनाओं का लाभ पात्रों तक पहुंचाना आसान नहीं है।
उधर, जिला कल्याण अधिकारी नरेंद्र जरयाल के मुताबिक रिक्त पदों के संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है।
ये है स्टाफ की स्थिति
अनुसंधान अधिकारी, अधीक्षक ग्रेड टू व वरिष्ठ सहायक के स्वीकृत एक-एक पद खाली, तहसील कल्याण अधिकारी के स्वीकृत 16 पदों में से आठ पद रिक्त, जिला कार्यालय में लिपिक के स्वीकृत छह पदों में से पांच खाली, तहसील स्तर पर लिपिक के स्वीकृत 15 पदों में से 11 पद रिक्त, तहसील स्तर पर दैनिक वेतन भोगी के स्वीकृत 16 में से 13 पद रिक्त हैं।