कृषि ऋषि की कक्षा में आचार्य भी विद्यार्थी
मुनीष दीक्षित, पालमपुर : स्थान : चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विवि पालमपुर कृषि विव
मुनीष दीक्षित, पालमपुर :
स्थान : चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विवि पालमपुर
कृषि विवि के सभागार में हिमाचल के राज्यपाल और श्रोताओं में करीब 12 सौ वैज्ञानिक, किसान व विद्यार्थी। शिक्षक की भूमिका में जीरो बजट खेती के विशेषज्ञ एवं पद्मश्री सुभाष पालेकर। वातावरण एक कक्षा जैसा। लेकिन इसमें रुचिकर प्रसंग यह है कि हिमाचल के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, जिन्होंने हरियाणा में गुरुकुल की स्थापना भी की है और जिनकी छवि गुरु की है, तीन दिन से लगातार विद्यार्थी की मुद्रा में है। संयम और धैर्य की पराकाष्ठा देखिये कि आचार्य नियमित रूप से कक्षा में आ रहे हैं और दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं कि वे कक्षा से बाहर न जाएं।
प्रदेश कृषि विवि में तीन दिन से जीरो बजट खेती पर राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है। एक ऐसा कार्यक्रम जिसमें वैज्ञानिकों, किसानों व विद्यार्थियों को एक ऐसी खेती के बारे में बताया जा रहा है, जो देशी गाय से मिलने वाले गोबर व मूत्र के दम पर बिना किसी बजट के तैयार भी की जाती है और उत्पादन भी रासानियक एवं जैविक खेती से दोगुणा मिलता है। इस प्रणाली से तैयार किए खाद्यान्न से न तो पर्यावरण को कोई खतरा है और न ही इसे खाने वाले मनुष्य को। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पहाड़ के किसान को भी रसायनों के प्रभाव से दूर रखकर, ऐसी खेती करने की तरफ ले जाना है, जो मनुष्य के लिए उपयुक्त और बिना किसी बजट के भी है। इस खेती के माध्यम से सड़क पर भटक रही गायों का संरक्षण करना भी ध्येय है। खेती के विशेषज्ञ सुभाष पालेकर अभी तक देश में करीब 50 लाख किसानों को इस खेती के इस गुर सिखा चुके है। पालेकर की ही देन है कि आज हरियाणा व पंजाब में भी कई किसान जीरो बजट खेती के दम पर न केवल आगे बढ़े हैं, बल्कि इससे लोगों को भी काफी लाभ हो रहा है। उनकी इस विधि का राज्यपाल आचार्य देवव्रत खुद देख चुके हैं। इस खेती का ही प्रभाव है कि आचार्य देवव्रत के हरियाणा में अपने खेतों में होने वाली खेती भी अब इसी विधि से हो रही है और इसके काफी अच्छे परिणाम भी आ रहे है। इसके बाद ही आचार्य देवव्रत ऐसा ही प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन पहले नौणी स्थित वानिकी विवि में भी करवा चुके हैं। ऐसा ही चार दिन का आयोजन कृषि विवि पालमपुर में हो रहा है। इसमें कई किसान व विवि के वैज्ञानिक इस खेती को करने की विधि को समझ रहे हैं। यह कार्यक्रम औपचारिकता न बनकर रह जाए, इसके लिए कुलाधिपति एवं राज्यपाल आचार्य देवव्रत भी खुद पूरा समय पाठशाला में बैठ रहे हैं।