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जसूर की समस्याएं बनी नासूर

जागरण संवाददाता, जसूर : पंजाब की सीमा के बाद प्रदेश में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले बड़े कस्बे म

By Edited By: Published: Wed, 10 Feb 2016 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2016 01:00 AM (IST)
जसूर की समस्याएं बनी नासूर

जागरण संवाददाता, जसूर : पंजाब की सीमा के बाद प्रदेश में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले बड़े कस्बे में तबदील हुए जसूर की कुछ ऐसी समस्याएं भी हैं जो नासूर बन गई हैं। इन समस्याओं का आज तक निदान नहीं हो पाया है। 1985 तक यहां कूहलें क्षेत्र की करीब 33 हेक्टेयर भूमि को सिंचित करती थी लेकिन क्षेत्र के व्यापारिक गतिविधियों के केंद्र बनने के बाद कूहलें अब अतिक्रमण का शिकार हो गई हैं। कब्जे के बाद आलम यह है कि अब ये कूहलें सूख चुकी हैं। लगातार लोग सरकार व प्रशासन से कूहलों पर हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए आवाज उठाते रहे हैं लेकिन ये समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। इसकी कई बार पैमाइश भी हुई लेकिन यहां से कब्जे नहीं हटे है। यही आलम बाहरी राज्यों के मजदूरों का भी है। इन मजदूरों ने क्षेत्र की शामलात भूमि पर कब्जाकर अपने मकान बना लिए हैं। इस कारण यहां के युवा एक खेल मैदान के लिए तरस रहे हैं। कब्जों को हटाने के लिए भी कहीं कोई प्रयास ही नहीं हुए। ये समस्याएं दैनिक जागरण की ओर से मंगलवार को जसूर में आयोजित किए गए पाठक मंच में सामने आई।

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रात नौ बजे के बाद बंद हो जाती हैं एटीएम

शहर में रात नौ बजे के बाद बंद होने वाली एटीएम से भी लोग परेशान हैं। रात को अगर किसी धनराशि की आवश्यकता पड़े तो कोई भी विकल्प उनके पास शेष नहीं रह जाता है।

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कूड़ेदानों का भी नहीं कोई रखवाला

स्वच्छता अभियान के लिए लगाए गए कूड़ेदान परेशानी का सबब बने हुए हैं। आलम यह है कि कूड़ेदानों से कोई कूड़ा उठाने वाला ही नहीं है। जसूर-धमेटा रोड की खस्ताहालत से उड़ती धूल से लोगों को बीमारियों से ग्रस्त होना पड़ रहा है, लेकिन इस मार्ग की हालत वर्षो से दुरुस्त नहीं हुई है। गलियों में नाली की निकासी, तो कहीं गलियों को पक्का करने की भी मांग उठती रही लेकिन यह मांग हमेशा ठंडे बस्ते में रही।

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यह कहना है पाठकों का

'आइपीएच कॉलोनी जसूर में आइपीएच विभाग के विश्रामगृह तक जाने वाली गली की चौड़ाई कम है। यहां अतिक्रमण से नालियों की निकासी का कोई प्रबंध नहीं है। पुरानी कूहलें बंद हो गई हैं और इससे करीब 33 हेक्टेयर भूमि सिंचाई सुविधा से वंचित हैं। अगर इन कूहलों को फिर से बहाल कर दिया जाए तो क्षेत्र की हरियाली को लौटाया जा सकता है।'

-मूलराज, व्यवसायी

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'निचले बाजार में शौचालय की हालत इस कदर खस्ता है कि इसका प्रयोग करना ही नामुमकिन है। यहां दूरदराज से आने वाले लोगों विशेषकर महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। पंचायत को चाहिए कि इसे सुलभ शौचालय को सौंपकर लोगों को सुविधा प्रदान करे।'

-तिलक राज शर्मा, जसूर

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'बाग मोहल्ला के वार्ड नौ की गली कई वर्षो से पक्का होने के इंतजार में है। यहां 25 से 30 परिवारों के बाशिंदे इस कच्ची गली से प्रभावित हो रहे हैं लेकिन इसकी सुध ही नहीं ली जाती। कई बार मामला पंचायत में उठाया गया लेकिन समस्या का आज दिन तक समाधान नहीं हुआ।'

-संसार चंद, जसूर

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'खेलने के लिए यहां मैदान ही नहीं है। इस कारण युवा नशे के चंगुल में फंस रहे हैं। यहां पड़ोसी राज्यों से मादक द्रव्यों की तस्करी हो रही है लेकिन इसकी रोकथाम के लिए ठोस प्रयास नहीं हुए। कमनाला पंचायत को स्ट्रीट लाइटें मिली तो उन्हें हाईवे में लगा दिया गया जबकि इन्हें गांवों में लगाना चाहिए था। पंचायत के वार्ड सात की गली टूटी हुई है। इसके लिए हमेशा आश्वासन ही मिलते हैं।'

-सोनू गुलेरिया, कमनाला पंचायत

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'यातायात की समस्या गंभीर है। पार्किंग न होने से लोगों द्वारा सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात जाम की समस्या अक्सर बनी रहती है। पुलिस केवल एक-दो चालान कर ही कर्तव्यों से इतिश्री कर लेती है। सिनेमा हाल रोड पर ढाबों में बिक रही शराब से लोगों का आना-जाना बेहाल हो गया है। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक पंचायत में कोई गोशाला नहीं खुली है।'

-अंकित वर्मा, कमनाला पंचायत

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'हाईवे के कारण यहां अक्सर हादसों का अंदेशा रहता है। जसूर की पीएचसी का दर्जा बढ़ाकर यहां एक डॉक्टर की रात को भी सेवाएं ली जानी चाहिए ताकि गंभीर घायलों को प्राथमिक उपचार मिल सके और उन्हें नूरपुर या पठानकोट न जाना पड़े। दूसरे राज्यों के मजदूरों के कब्जे की 12 कनाल भूमि को मुक्त करवाया जाए।'

-रवि नैय्यर, प्रबंधक होटल शगुन।

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'जसूर एक व्यापारिक परिसर में बदल चुका है। यहां स्कूलों की संख्या भी बढ़ी है और स्कूलों को आने-जाने वाले बच्चों की गाड़ियों के लिए कोई स्थान ही चिह्नित नहीं है इसलिए कई बार हादसों का अंदेशा बना रहता है। रात को अक्सर नौ बजे सभी एटीएम बंद हो जाती हैं। बैंक प्रबंधन को एटीएम की सुविधा 24 घंटे प्रदान करने के लिए सुरक्षाकर्मी तैनात करने चाहिए।'

-अनुराग महाजन, जसूर

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'स्वच्छता अभियान के तहत प्रशासन ने यहां कूड़ादान तो लगाए लेकिन इनसे कूड़ा उठाने की ही कोई व्यवस्था नहीं है। अब लबालब कूड़े से भरे कूड़ादान ही लोगों के लिए समस्या बन गए हैं।'

-तरसेम कुमार, जसूर

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'छतरोली पंचायत से गुजरने वाली रेल लाइन के नीचे से न तो वाहनों को गुजरने दिया जाता है और न ही यहां कोई इसका विकल्प दिया जा रहा है। इससे एक दर्जन गांव के 2500 से अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं। जब्बर खड्ड से जुड़ने वाली खड्डों में भरे मलबे को भी नहीं हटाया जा रहा है। बरसात के दिनों में पानी लोगों के घरों में आ जाता है।'

-सूरम सिंह, जसूर

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'अंत्येष्टि स्थल जसूर की दशा को सुधारने की आवश्यकता है। इस अंत्येष्टि स्थल के पास फैला कूड़ा-कचरा व रखरखाव के अभाव में यहां अंत्येष्टि के लिए आने वाले लोगों की भावनाएं भी आहत होती हैं। क्षेत्र के एकमात्र अंत्येष्टि स्थल की दशा को सुधारा जाना चाहिए।'

-संसार चंद, जसूर

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ये रहे पाठक मंच में मौजूद

प्रदेश व्यापार मंडल के प्रवक्ता व जसूर व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजीव महाजन, सेवानिवृत्त अध्यापक संसार चंद, तिलक राज शर्मा, व्यवसायी मूल राज, व्यवसायी अरुण सेठ, होटल शगुन के प्रबंधक रवि नैय्यर, अनुराग महाजन, तरसेम लाल शर्मा, मेघराज शर्मा, अंकित वर्मा, दीपराज शर्मा, सोनू गुलेरिया, मुनीश गुप्ता, ऋषि महाजन, अंकुर शर्मा, छत्रोली के सुरम सिंह व नरेश वर्मा उपस्थित रहे।

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पाठक मंच का असर

पाठक मंच में अंत्येष्टि स्थल की उठी मांग पर जसूर व्यापार मंडल के अध्यक्ष व प्रदेश व्यापार मंडल के प्रवक्ता राजीव महाजन (राजू) ने स्वर्गीय पिता मोहन शाह की याद में अंत्येष्टि स्थल के सुधारीकरण के लिए डेढ़ लाख रुपये देने की घोषणा की है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि डीसी कांगड़ा को इसके सुधारीकरण के लिए पांच लाख की योजना भी प्रस्तावित की है, जो शीघ्र ही खंड कार्यालय के माध्यम से प्राप्त हो जाएगी। राजू महाजन के पिता जसूर व्यापार मंडल के 50 वर्ष तक लगातार प्रधान रहे हैं। अब यह उत्तरदायित्व उनके बेटे राजू महाजन संभाल रहे हैं।


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