पहले जानवरों अब परियोजना का सितम
कुलदीप राणा, पालमपुर सरकार और विद्युत प्रबंधकों ने खेतों को बंजर बना दिया है। पहले ही जंगली जानवर
कुलदीप राणा, पालमपुर
सरकार और विद्युत प्रबंधकों ने खेतों को बंजर बना दिया है। पहले ही जंगली जानवरों एवं बेसहारा पशुओं की समस्या से जूझकर रोटी कमा रहे किसानों को बनेर खड्ड पर बनी निजी पनविद्युत परियोजना ने लावारिस बना दिया है। यह कहना है जिया, द्रंग, धोरन, घनैटा व बल्ह पंचायतों के हजारों किसानों का। इनकी हजारों एकड़ भूमि ¨सचाई के अभाव में बंजर हो रही है। इन क्षेत्रों को ¨सचित करने वाली जीवन दायिनी कथूहल कूहल पिछले एक साल से सूखी पड़ी है। ¨सचाई के अभाव में किसानों को खरीफ फसल में नुकसान उठाना पड़ा। रबी फसल पर भी खतरा मंडराना शुरू हो गया है। ¨सचाई के अभाव में किसान अब तक गेहूं की बिजाई नहीं कर पाए हैं। बीरबल ¨सह, बिसन दास, चाहडखोला, हरि ¨सह, उत्तम सिंहं, कालू राम, जहलू राम तथा सूबेदार ज¨तद्र ¨सह ने बताया कि वह कई बार परियोजना प्रबंधन तथा ¨सचाई विभाग के अधिकारियों से बात कर चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। मामले पर क्षेत्र के विधायक एवं सीपीएस जगजीवन पाल से भी बात कर चुके हैं। उन्होंने मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेकर विभागीय अधिकारियों व परियोजना प्रबंधन को कूहल में उचित मात्रा में पानी छोड़ने के आदेश दिए थे लेकिन इसके बाद भी परियोजना प्रबंधक पानी नहीं छोड़ रहे। विभागीय अधिकारी भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। किसानों ने नुकसान की भरपाई के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है।
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'कूहल का चैनल क्षतिग्रस्त होने के कारण पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। जैसे की विभाग चैनल को ठीक करेगा कूहल को सुचारू पानी छोड़ दिया जाएगा।'
अनीश शर्मा, पनविद्युत परियोजना प्रबंधक।
'परियोजना प्रबंधन से बात कर कूहल को सुचारू किया जा रहा है। कूहल चलने के बाद भी यदि परियोजना प्रबंधकों ने पानी बंद किया तो सख्त कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।'
विनोद धीमान, सहायक अभियंता, ¨सचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग।