आत्म अवलोकन जीवन का अहम अंग
आत्म अवलोकन यानी खुद के भीतर झांकना। एक स्कूल संचालक के तौर पर मैं जब खुद के भीतर झांकता हूं तो यही
आत्म अवलोकन यानी खुद के भीतर झांकना। एक स्कूल संचालक के तौर पर मैं जब खुद के भीतर झांकता हूं तो यही लगता है कि मेरी भूमिका विद्यार्थियों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। उसके बाद ही मैं कोई निर्णय ले पाता हूं। आत्म अवलोकन बुद्धिमता व भावनात्मक दोनों रूप में होना चाहिए। जीवन में संतुलन तभी हो सकता है। सेल्फ इंट्रोस्पेक्शन ऐसा होना चाहिए जिससे जीवन में सकारात्मक सोच विकसित हो। आगे बढ़ने की राह प्रशस्त हो। भावनाओं पर काबू रखना सबसे मुश्किल है। जो लोग भावनाओं पर काबू रखना जानते हैं उनके लिए मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति से निकलना आसान हो जाता है। ऐसा करने से हम खुद का आकलन करते हैं जो कि हमें जीवन में सही दिशा में आगे बढ़ाता है व जीने की राह दिखाता है। इंसान तब समझदार नहीं होता जब वह बड़ी-बड़ी बातें करने लगे, बल्कि समझदार तब होता है जब वह छोटी-छोटी बातें समझने लगे। यह समझ आत्म अवलोकन से ही विकसित होती है। चाणक्य ने सही कहा था कि गुणों से मानवता की पहचान होती है। किसी ऊंचे ओहदे पर बैठने से नहीं। हमें महत्वाकांक्षा के साथ समझदारी का प्रयोग करना चाहिए। कोई सोच या समझ तभी विकसित होती है जब हम खुद के भीतर झांकते हैं। अच्छे-बुरे और सही-गलत का अहसास करते हैं। समाज एक शिक्षक से बहुत अधिक उम्मीदें रखता है। ऐसे में हर शिक्षक को आत्म अवलोकन जरूर करना चाहिए। आत्म अवलोकन जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है।
-विनय शर्मा, निदेशक विशुद्धा पब्लिक स्कूल, बैजनाथ
(जैसा मुनीष दीक्षित को बताया)
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'आत्म अवलोकन हमारे जीवन का अहम अंग है। कोई कार्य करने से पहले हमें आत्मा की आवाज सुनना जरूरी है। हमें समय-समय पर भावनाओं और बुद्धि के स्तर पर भी उसका आकलन करना चाहिए।'
-अमन मेहता, छात्र
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'कोई भी निर्णय लेते समय भावनाओं में न बहकर बौद्धिक क्षमता का परिचय देते हुए उचित निर्णय लेना चाहिए। जो समाज के हित में हो। सही समय पर लिए गए निर्णय से हमारी बौद्धिक क्षमता का पता चलता है।'
-पंकज कुमार, छात्र
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'संस्कारों के बिना समाज का विकास संभव नहीं है। समाज में कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जो समाज हित में न हो। कोई भी कार्य करने से पहले इंसान को आत्म अवलोकन करना चाहिए।'
-अनुजा कुमारी, छात्रा
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'समाज या परिवार हित में कोई भी निर्णय लेने से पहले हर प्रकार से आत्म अवलोकन किया जाना चाहिए। छोटा या बड़ा कोई भी फैसला केवल किसी दबाव में नहीं लिया जाना चाहिए। बुद्धि और दिल दोनों की सुनकर ही फैसला करना चाहिए।'
-शारदा सूद, छात्रा