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त्रिलोक कपूर ने की केंद्रीय जनजातीय विकास मंत्री से भेंट

जागण संवाददाता, पालमपुर : प्रदेश के गैर जनजातीय क्षेत्र में जनजातीय बजट, जनजातीय आयोग का गठन

By Edited By: Published: Fri, 04 Sep 2015 12:38 AM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2015 12:38 AM (IST)

जागण संवाददाता, पालमपुर :

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प्रदेश के गैर जनजातीय क्षेत्र में जनजातीय बजट, जनजातीय आयोग का गठन और छोटा व बड़ा भंगाल के दुर्गम क्षेत्र को जनजातीय दर्जे में शामिल करने जैसे संवेदनशील विषयों पर केंद्र सरकार निर्णायक भूमिका निभाए। यह आग्रह प्रदेश वूल फैडरेशन के पूर्व चैयरमेन एवं भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता त्रिलोक कपूर ने केंद्रीय जनजातीय विकास मंत्री जुएल ओराम से वीरवार को दिल्ली में भेंट करते हुए किया। कपूर ने बताया कि यह कैसा अन्याय है कि नए हिमाचल के गद्दी गुज्जर पहले 36 वर्षो तक जनजातीय दर्जे के लिए संर्घष करते रहे और अब उन्हें बजट के लिए जूझना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि देश में 12 करोड़ से भी ज्यादा आदिवासियों की जनसंख्या है। गुजरात, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, छत्तीसगढ, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र जैसे कई देश के ऐसे राज्य है, जहां पर दो-दो करोड़ से भी ज्यादा जनसंख्या आदिवासियों की है, उनके मूल विकास के लिए चाहे, स्वास्थ्य, शिक्षा का विषय हो, रास्ते, सड़क, पानी और आवश्यक भवन निर्माण के क्षेत्र हो, उनके निर्माण के लिए विशेष बजट का प्रावधान रखा गया है, लेकिन पूरे देश में नए हिमाचल का जनजातीय समाज ही एक ऐसा वंचित क्षेत्र है, जहां पर न तो केन्द्र सरकार और न ही राज्य सरकार के पास इनकी सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, रास्ते और सड़क या गरीब लोगों के लिए आवास जैसी बुनियादी व जरूरतमंद सुविधाओं के लिए बजट का कोई प्रावधान नहीं है। वर्तमान में प्रदेश सरकार अपने कुल बजट का 8 फीसद भाग मात्र जनजातीय क्षेत्र में खर्च कर रही है, जबकि गैर जनजातीय क्षेत्र में न के बराबर है। जबकि अब जनजातीय क्षेत्र से दुगुनी से ज्यादा आबादी गैर जनजातीय क्षेत्र में है। इस मौके पर कपूर ने केंद्रीय मंत्री से प्रदेश में उत्तराखंड की तर्ज पर अनुसूचित जनजाति आयोग का भी गठन करने का आग्रह किया। कपूर ने जिला कांगड़ा के सबसे दुर्गम क्षेत्र छोटा व बड़ा भंगाल को भी शीघ्र जनजातीय क्षेत्र का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार से कारगर कदम उठाने का भी विशेष रूप से आग्रह किया।


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