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किसानों को बताए औषधीय व सुगंधित पौधों के लाभ

संवाद सहयोगी, पालमपुर : सीएसआइआर के हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के तांदी स्थित

By Edited By: Published: Tue, 30 Jun 2015 12:27 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2015 12:27 AM (IST)
किसानों को बताए औषधीय व सुगंधित पौधों के लाभ

संवाद सहयोगी, पालमपुर : सीएसआइआर के हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के तांदी स्थित उच्च तुंगता जैव विज्ञान केंद्र में एक दिवसीय औषधीय एवं सुगंधित पौधों का प्रवर्धन, उत्पादन एवं मूल्यवर्धन पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। संस्थान के निदेशक डॉ. संजय कुमार की पहल पर आयोजित शिविर में लाहुल घाटी के प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया।

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शिविर के आयोजक डॉ. राकेश कुमार ने किसानों को बताया कि औषधीय एवं सुगंधीय पौधों का हमारे जीवन में अधिक महत्व है। औषधीय व सुगंधित फसलें व्यावसायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो गई हैं। इनकी आपूर्ति के लिए अवैध तरीके से वनों का दोहन हो रहा है। जिस कारण कुछ पौधे लुप्त होने के कगार हैं। उन्होंने अन्य फसलों की तर्ज पर इनकी खेती भी करने को कहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि घाटी के किसान औषधीय व सुगंधित फसलों को सेब के बगीचे में उगाकर आय अर्जित कर सकते हैं। वैज्ञानिक डॉ. अशोक ¨सह ने किसानों को जैव विज्ञान केंद्र की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। इस दौरान किसानों को सुगंधित तेल निकासी यंत्र से तेल निकालने का प्रशिक्षण भी दिया गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि लाहुल घाटी में कुटकी, क्लेरी सेज, जिन्सेंग आदि फसलों के प्रदर्शनी प्रक्षेत्र लगाए गए हैं। वैज्ञानिक डॉ. सनत सुजात ¨सह ने किसानों को क्लेरी सेज व आर्टेमिसिया अनुया के बीज वितरित किए। लाहुल मेडिसिनल प्लांट सोसायटी के प्रधान चरण दास ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण किसानों के लिए लाभदायक होंगे। उन्होंने वैज्ञानिकों से कुटकी, कुठ, जिन्सेंग और जटामांसी की उच्च गुणवता की पौधे सामग्री किसानों को उपलब्ध करवाने का आग्रह किया।


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