Move to Jagran APP

सुख-दुख को प्रभु प्रसाद समझकर ग्रहण करें : आचार्य

संवाद सहयोगी, देहरा : सुख में कभी भी परम पिता परमात्मा को याद करना न भूलें और दुख में प्रभु को अपना

By Edited By: Published: Sat, 23 May 2015 12:16 AM (IST)Updated: Sat, 23 May 2015 12:16 AM (IST)
सुख-दुख को प्रभु प्रसाद समझकर ग्रहण करें : आचार्य

संवाद सहयोगी, देहरा : सुख में कभी भी परम पिता परमात्मा को याद करना न भूलें और दुख में प्रभु को अपना सहारा मानकर इस समय को हिम्मत से काटने की आत्मशक्ति जगाएं। सुख-दुख को प्रभु का प्रसाद समझकर मानवता की सेवा करने वाला जीवन-मरण के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाता है। यह शब्द आचार्य प्रद्युमन जी महाराज ने सर्वाचार्या बस्ती के प्राचीन नाग मंदिर में भागवत कथा में कहे। आचार्य ने कहा कि पूरे संसार में प्रभु की मर्जी के बिना पत्ता नहीं हिल सकता है। हमारी सारी क्रियाएं उसी परम पिता भगवान के हाथ हैं। जिस दिन हम भगवान के सत्य को जान लेंगे। उसी दिन हम सभी संसारिक चिंताओं से मुक्त होकर प्रभु में खुद को लीन पाएंगे। इस मौके पर सुरेश शर्मा, विपिन, राजेंद्र सुदर्शन, अंजु, रक्षा, श्याम शुक्ला एवं बबली सहित अन्य उपस्थित रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.