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बेहतर उत्पादन के लिए अभी और शोध जरूरी : डॉ. आहुजा

जागरण संवाददाता, पालमपुर : फर्न(लुंगडू) के बेहतर उत्पादन के लिए अभी और शोध करने की आवश्यकता है। इ

By Edited By: Published: Sun, 21 Dec 2014 11:35 PM (IST)Updated: Sun, 21 Dec 2014 11:35 PM (IST)

जागरण संवाददाता, पालमपुर : फर्न(लुंगडू) के बेहतर उत्पादन के लिए अभी और शोध करने की आवश्यकता है। इसके लिए देश भर की 1200 फर्न(लुंगडू) प्रजातियों पर शोध हो रहा है। इनमें से 200 फर्न प्रजातियों को बेहतर उपयोग के लिए सर्वोत्तम पाया है। इसके औषधीय गुणों का हर कोई व्यक्ति आसानी से उपयोग कर सके, इसके लिए देश भर के वैज्ञानिक इस दिशा में अभी और शोध करेंगे। इसका डॉटाबेस तैयार करके यह जानने का प्रयास करेंगे कि इसका उद्गम कब हुआ है। इसके लिए विभिन्न आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करेंगे। ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रो में फर्न को लेकर जो पारंपरिक ज्ञान है उसे भी इसमें जोड़ा जा रहा है। इससे यह बहुउपयोगी पादक समूह सिद्ध हो सकता है। आइएचबीटी के निदेशक डॉ. परमवीर ¨सह आहुजा ने हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में टेरिडोफाइट (फर्न) पर आधुनिक दृष्टिकोण, जीवविज्ञान, जैव विविधता और जैव संपदा, विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में मौजूद वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए इसकी जानकारी दी। उन्होंने वैज्ञानिकों को प्राचीन पुरातत्व विज्ञान व आधुनिक विज्ञान से जोड़ने की बात कही। रविवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का समापन हो गया, इसमें विभिन्न 70 प्रतिभागियों ने भाग लिया। 35 के करीब मौखिक प्रेजेंटेशन हुई। संगोष्ठी में वरिष्ठ शोधकर्ता भोपाल एचके गोस्वामी, पंजाब एसपी खुल्लर, जयपुर बीडी शर्मा, पिथोरागढ़ प्रो. एन कुलेटा ने भाग लिया।

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