तीन साल में महज 15 स्कूलों ने उठाया जल संरक्षण का बीड़ा
संवाद सूत्र, धर्मशाला
देवभूमि हिमाचल के शिक्षा मंदिरों वर्षा सहेजने को लेकर बनाए जाने वाले वाटर हार्वेस्टिंग टैंक योजना शुरू किए तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी सिरे नहीं चढ़ पा रही। 2011 से शुरू हुई इस योजना में अभी तक जिला कांगड़ा के 15 प्रारंभिक स्कूलों में वर्षा जल सयंत्र केंद्र बनाए गए, जो कुल स्कूलों के संख्या का एक प्रतिशत भाग भी नहीं है। हालांकि अन्य 22 स्कूलों में केंद्र बनाने का कार्य चल रहा है, लेकिन तीन वर्षो में मात्र 37 स्कूलों में ही यह कार्य शुरू हो पाए हैं। वर्षा जल का उचित प्रयोग करने के लिए शिक्षा विभाग ने हर स्कूल एक वर्षा जल सयंत्र केंद्र बनाने के योजना शुरू की है, ताकि पानी की किल्लत वाले दिनों में सहेज कर रखे हुए पानी से बच्चों को आने वाली पेयजल किल्लत से निजात मिल सके। इसके लिए शिक्षा विभाग स्कूल को 60 हजार व डीआरडीए से 40 हजार रुपये राशि दी जाती है। एक लाख रुपये राशि से बनने वाले वाटर हार्वेटिंग टैक में कांगड़ा के 1710 प्रारंभिक स्कूल में से मात्र 37 स्कूलों ने योजना का लाभ उठाने की कोशिश की है। जिला कांगड़ा के शिक्षा मंदिरों वर्षा जल संरक्षण केंद्र में बनाने में अधिक रुचि नहीं दिखाई दे रही। हालांकि विभाग ने योजना को सफल बनाने के लिए नई गाइडलाइन बनाई है, इसके तहत हर स्कूल के नए भवन को तभी स्वीकृति दी जाएगी, जब तक भवन के प्लान में वर्षा जल सयंत्र शामिल नहीं होगा। बहरहाल ने अभी तक कांगडा एलीमेंट्री स्कूलों में जल देवता को वास नहीं हो पाया है।
प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक केएस कटवाल ने बताया की विभाग द्वारा सभी स्कूलों को वर्षा जल संयत्र योजना को शीघ्र अपनाने के निर्देश दिए जा रहे हैं।