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क्लर्को का काम भी नर्सो के जिम्मे

By Edited By: Published: Wed, 27 Aug 2014 01:19 AM (IST)Updated: Wed, 27 Aug 2014 01:19 AM (IST)

जागरण संवाददाता, टांडा : डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आरपीजीएमसी) कांगड़ा स्थित टांडा में नर्सिग स्टाफ का अभाव है। इसके बावजूद नर्सो के पास जननी सुरक्षा योजना के भुगतान व प्राइवेट कमरों के हिसाब-किताब का जिम्मा भी थमाया गया है।

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सरकार ने जिस कार्य के लिए स्टाफ भर्ती किया है उससे वो कार्य न लेकर दूसरा काम करवाना आरपीजीएमसी प्रशासन की आदत बन चुका है। कभी रजिस्टर पर पर्ची दर्ज करने के लिए फार्मासिस्ट की ड्यूटी लगा दी जाती है तो कभी सिक्योरिटी गार्ड इस काम को संभाल रहे होते हैं। अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली कितनी दुरुस्त है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां नर्से क्लर्को का कार्य कर रही हैं। यह बात और है कि वार्ड में मरीजों को नर्सो की सेवाएं चाहे ठीक ढंग से न मिल पाएं। आए दिन मरीजों के तीमारदार इस संबंध में शिकायत भी करते रहते हैं कि ग्लूकोज बदलने या बैड पर चादर बिछाने का कार्य भी उन्हें स्वयं करना पड़ता है। आरपीजीएमसी में इस समय करीब 319 नर्से, 60 वार्ड सिस्टर व चार मैटर्न कार्यरत हैं। लेकिन 500 बिस्तर के अस्पताल के हिसाब से यह संख्या कम है। वार्ड के अलावा स्किन, आंख व सर्जरी ओपीडी, ब्लड बैंक, केजुअल्टी व ऑपरेशन थियेटर में भी नर्सो की ड्यूटी होती है।

यही नहीं अस्पताल प्रशासन ने जननी सुरक्षा योजना इसमें प्रसूता महिलाओं को अस्पताल आने व घर जाने का किराया दिया जाता है व प्राइवेट कमरों के पैसों का हिसाब-किताब रखने के लिए भी नर्सो की ड्यूटी लगाई हुई है। यह कार्य नर्सो को न देने के लिए मैटर्न कई बार अस्पताल प्रशासन से गुहार लगा चुकी हैं, परंतु इसका कोई असर नहीं हो रहा है। कायदे से यह काम क्लर्क का है, लेकिन अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि उनके पास स्टाफ की कमी है इसलिए यह कार्य नर्सो को दिया गया है।

बताया जाता है कि काम की अधिकता के कारण कुछ नर्से डिप्रेशन का शिकार हो गई हैं। वे अस्पताल में ही इससे निजात के लिए काउंसिलिंग ले रही हैं। वहीं, अस्पताल में कई बार नर्सो के प्राइवेट कमरों के किराये के पैसे चोरी हो चुके हैं और नर्सो को पैसे अपनी जेब से भरने पडे़ थे। इस संबंध में अस्पताल प्रशासन को अवगत भी करवाया गया, परंतु कोई फर्क नहीं पड़ा।

'अस्पताल में स्टाफ की कमी है इसलिए यह कार्य नर्सो को दिया गया है। अन्य कार्य के साथ नर्से अगर जननी सुरक्षा योजना के भुगतान व प्राइवेट कमरों के किराये के पैसों के हिसाब-किताब का काम भी संभालती हैं तो इसमें क्या बुराई है।'

-डॉ. दिनेश सूद, चिकित्सा अधीक्षक, आरपीजीएमसी टांडा।


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