कर्ज लेकर किया बेटी का सपना पूरा
प्रदीप शर्मा, नूरपुर
अगर इरादा पक्का हो तो कोई भी मुकाम मुश्किल नहीं होता। इसी बात को नूरपुर उपमंडल के सुलयाली गांव की आकृति हीर ने सच कर दिखाया है। प्रायोजक न मिलने के बावजूद आकृति ने हिम्मत नहीं हारी और अपने बलबूते यूरोप के एल्पस पर्वत पर तिरंगा फहरा कर हिमाचल का नाम विश्वभर में रोशन किया।
आकृति की टीम के अन्य सदस्यों को देश की नामी कंपनियों ने प्रायोजक के रूप में अपनाकर उनकी जरूरतों को पूरा किया, लेकिन आकृति ने प्रायोजक न मिलने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और पिता कृष्ण सिंह हीर ने बैंक से तीन लाख रुपये कर्ज लेकर बेटी का सपना पूरा किया।
वहीं, एवरेस्ट फतेह करने वाली पहली भारतीय महिला बिछेंद्री पाल ने लाखों रुपये का सामान अपने प्रयासों से आकृति को उपलब्ध करवाया। छोटे से गांव की आकृति की सफलता पर क्षेत्रवासी गर्व महसूस कर रहे है। वीरवार को जैसे ही आकृति ने अपने पिता को फोन कर एल्पस पर्वत पर भारतीय ध्वज फहराने की सूचना दी तो परिवार के साथ-साथ क्षेत्रवासी भी खुशी से झूम उठे। दिनभर घर में बधाई देने वालों का तांता लगा रहा।
बेटी की सफलता पर खुशी हूं
बैंक से कर्ज लेकर अपनी बेटी का सपना पूरा किया है।आज ख्रुशी है कि आकृति ने अपने प्रदर्शन से हिमाचल प्रदेश को एक अलग पहचान दी है।
-कृष्ण सिंह हीर, आकृति के पिता
गंगोत्री भी की है फतेह
आकृति पठानकोट के एक निजी कॉलेज में बीसीए के अंतिम वर्ष में पढ़ती है। उसने दसवीं कक्षा तक की शिक्षा विवेकानंद सरस्वती स्कूल सुलयाली व जमा दो कक्षा की शिक्षा सरकारी स्कूल सुल्याली से प्राप्त की। कालेज में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान आकृति हीर ने सन 2011 में एनसीसी में बतौर कैडेट प्रवेश किया तथा एनसीसी में प्रवेश लेने के बाद उसके मन में पर्वतारोही बनने की च्च्छा जागी। आकृति हीर इससे पूर्व उत्तरकाशी में गंगोत्री चोटी को फतेह कर चुकी है। आकृति हीर सास्कृतिक कार्यक्रमों में भी बढ़ चढ़ कर भाग लेती है तथा गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में उसे यूथ फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ गायक के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।