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आ गया जोड़ों के दर्द का तोड़

By Edited By: Published: Mon, 21 Jul 2014 01:02 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jul 2014 01:02 AM (IST)
आ गया जोड़ों के दर्द का तोड़

गिरीश शर्मा, पपरोला

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जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों के राहत भरी खबर है, इस रोग का तोड़ ढूंढ लिया गया है। अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप कुमार ने नैनो तकनीक से शोध कर आयुर्वेदिक औषधि तैयार की है। यह शीघ्र ही बाजार में उपलब्ध होगी, जिससे मरीजों को शल्य चिकित्सा से छुटकारा मिलेगा।

राजीव गांधी स्नातकोतर आयुर्वेदिक महाविद्यालय पपरोला के छात्र रहे डॉ. कुलदीप कुमार आस्ट्रेलिया की डिकन यूनिवर्सिटी में इस पर शोध कर आए हैं। आस्ट्रेलिया के सिडनी व मेलबर्न में चली नैनो मेडिसन की पांचवीं अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में 22 देशों के विशेषज्ञ जुट थे। इसमें अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप कुमार ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनके मुताबिक नैनो तकनीक से आयुर्वेदिक औषधि का अस्थि अनुसंधान में प्रयोग काफी समय से चला रहा था। घुटनों के जोड़ों संबंधी या हड्डियों के संबधित अन्य समस्या के लिए दो औषधियां लाक्षा आदि गुग्गल व अस्थि श्रृंखला शोध में काफी कारगार साबित हुई हैं। इनको दो साल से तैयार कर शोध में प्रयोग किया जा रहा है। इस दवा को पेटेंट करवाने के लिए आवेदन किया गया है। डॉ. कुलदीप वर्तमान में जिला हमीरपुर के बड़सर में रोशनी आयुर्वेदिक चिकित्सालय के संचालक हैं।

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महंगे इलाज से मिलेगा छुटकारा

शीघ्र ही औषधि बाजार में उपलब्ध होगी। अब लाखों रुपये खर्च कर घुटने नहीं बदलने पड़ेंगे तथा महंगे इलाज से छुटकारा मिलेगा। रिसर्च में डिकन यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने शोध में सहायता की। इनमें प्रो. जगत कंवर, डॉ. रुपेंद्र कंवर व डॉ. राशि कासमर का विशेष योगदान रहा है।

-डॉ. कुलदीप कुमार, अस्थि रोग विशेषज्ञ।

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औषधियां और उनकी विशेषता

शीघ्र ही बाजार में लाक्षा आदि गुग्गल व अस्थि श्रृंखला दो आयुर्वेदिक औषधियां बाजार में उपलब्ध होंगी। उक्त औषधियां को आयुर्वेदिक नैनो मेडिकल तकनीक से तैयार किया गया है। हालांकि अभी इनकी कीमत तय नहीं की गई है, लेकिन शल्य चिकित्सा से यह काफी सस्ती और सुरक्षित होगी। यह खाने की औषधि है और अभी तक इसका मूल्य तय नहीं हुआ है। बाजार में आने के बाद इसका मूल्य तय होगा।

क्या है नैनो तकनीक

यह औषधि निर्माण की ही एक शाखा है। इस विधि से औषधि को इतना सूक्ष्म कर दिया जाता है कि इसे खाने के बाद आमाशय में पाए जाने वाले विभिन्न लवण व अम्ल इसके औषधीय प्रभाव को कम नहीं कर पाते। इसलिए इस विधि से निर्मित औषधि का पूरा अंश रोगी को प्राप्त होता है। इससे औषधि का हर अंश रोग के उपचार में तेजी लाता है।


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