पर्यटकों ने सड़क किनारे काटी रात
कोतवाली बाजार से मैक्लोडगंज और मैक्लोडगंज बाईपास पर लाइनबार गुजरते वाहनों को देखते ही स्पष्ट हो रहा
कोतवाली बाजार से मैक्लोडगंज और मैक्लोडगंज बाईपास पर लाइनबार गुजरते वाहनों को देखते ही स्पष्ट हो रहा था कि मैक्लोडगंज में कितनी भीड़ होगी। वाहनों की कतारें सिर्फ एकतरफा ही थी। भीड़ में लगी गाड़ियों में 15 से 20 में से एक गाड़ी ऐसी दिख रही थी जो हिमाचल नंबर हो, बाकी सभी पंजाब, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर व उत्तर प्रदेश नंबर की थीं। देखकर लग रहा था कि तीन छुट्टियों के कारण इन गाड़ियों में सभी राज्यों के लोग मैक्लोडगंज पहुंच गए हैं। कतारों में लगते हुए मैक्लोडगंज में सेंट जॉर्ज चर्च के मुख्य गेट के सामने करीब 40 से 50 युवा खड़े थे और दो वर्दीधारी पुलिसकर्मी उन्हें कुछ बोल रहे थे। रुककर पूछा भाई साहब क्या हो रहा है तो एक पुलिसकर्मी बोला यह रात में त्रियुंड जाने के लिए बोल रहे हैं तो उन्हें मना कर सुबह निकलने की सलाह दे रहा हूं। लड़कों से पूछा तो शुभम, संदीप, आदित्य, पंकज, अंकुश, अमनप्रीत सिंह व दिव्यांश बोलते हैं सर हम सोलन के एक संस्थान के छात्र हैं। बहुत नाम सुना था त्रियुंड का। छुट्टियां थीं और सभी बस में यहां आ गए हैं। अब आगे जा नहीं सकते तो क्या करें। यहीं बस में रात काटनी पड़ेगी, क्योंकि इतनी व्यवस्था नहीं है कि आधी रात को किसी होटल में कमरे लिए जाएं। चर्च की रोशनी में खाना खा लेते हैं और बस में सोकर सुबह ही निकलेंगे। आगे बस स्टैंड के पास गाड़ियां तो थोड़ी कम थी, क्योंकि रोड वनवे किया था, लेकिन भीड़ को देखकर लग रहा था कि मानो यहां बहुत बड़ा कार्यक्रम हो रहा है। चौक में पैर रखने के लिए जगह नहीं थी। चौक पर तैनात पुलिसकर्मी यातायात को सुचारू बनाने के लिए पर्यटकों को गाइड कर रहे थे। वहीं साइड में दुकानों के बरामदे के सहारे गोद में बैग लिए बैठे अमृतसर से आए दीपक व अंशुल ने बताया कि बिना एडवांस बुकिंग के यहां पहुंचे हैं। अब मैक्लोडगंज में तो कमरा ढूंढे़ नहीं मिल रहा है। हमारा एक और साथी है जो पहले भी यहां आता था और उसे किसी परिचित के पास भेजा है ताकि कमरा मिल जाए। दलाईलामा मार्ग पर दो महिलाएं एक होटल के बाहर सड़क किनारे दो बच्चों को गोद पर सुलाने की कोशिश कर रही थीं और बार-बार बच्चों के मुंह तौलिए से ढक रही थी। बच्चे भी ऐसे जो अभी तक चलना तक नहीं सीखे हैं। पूछा कहां से हो और सड़क किनारे क्या कर रही हो तो एक महिला ने कहा कि हम लुधियाना से हैं और परिवार के साथ मैक्लोडगंज गाड़ी में घुमने आए थे, लेकिन यहां की चढ़ाई में गाड़ी भी जवाब दे गई और मैक्लोडगंज नहीं पहुंच पाए हैं। आने से पूर्व कोई होटल भी बुक नहीं करवाया था, अब सड़क किनारे ही रात गुजारनी पड़ेगी।
-मैक्लोडगंज से मुनीष गारिया के साथ छायाकार मोहिंद्र सिंह की रिपोर्ट।