पुलिस अफसरों को सिखाया तथ्यों का अन्वेषण
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : क्षेत्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला उत्तरी क्षेत्र धर्मशाला में पुलिस अन्
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : क्षेत्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला उत्तरी क्षेत्र धर्मशाला में पुलिस अन्वेषण अधिकारियों के लिए दो सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम शनिवार को संपन्न हो गया। प्रशिक्षण शिविर में कांगड़ा व चंबा के अन्वेषण अधिकारियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण शिविर में घटनास्थल पर मिले विभिन्न प्रकार के प्रमाणों जैसे हड्डी, धातु के टुकड़े, रंग, पेंट, खून, बाल, रेशे, औजारों के निशान, टायर के निशान, हाथ व पैर की अंगुलियों के निशान, टूटे काच के टुकडे़, गोली, विस्फोटक के अवशेष, पेट्रोलियम पदार्थ व मादक पदार्थ जैसे चरस, गाजा, भाग, हेरोईन, कोकीन, डीएनए, फिंगर प्रिंट, साईबर क्राइम, एटीएम की चोरियां, जाली करंसी, पासपोर्ट, बीजा में धोखाधड़ी, बैंक के चेक में छेड़छाड़ आदि तथ्यों की व्यावहारिक व प्रयोगात्मक जानकारी दी गई। प्रयोगशाला उपनिदेशक डॉ. मीनाक्षी महाजन ने कहा कि फॉरेंसिक विज्ञान के अंतर्गत अपराध एवं विज्ञान के तालमेल से अपराधियों की पहचान की जाती है। आज के समय में एटीएम से चोरी, जाली करंसी, हस्ताक्षरों का मिलान, पासपोर्ट, वीजा में धोखाधड़ी, बैंक के चेक में छेड़छाड़ आदि के मामले सामने आ रहे हैं। फॉरेंसिक लैब धर्मशाला इन मामलों को सुलझाने में अहम भूमिका निभा रही है। इस दौरान डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों ने पोस्टमार्टम, चोटों के प्रकार, विभिन्न प्रकार के फ्रेक्चर और आपराधिक घटनाओं में चोटों के बारे में अन्वेषण अधिकारियों को विस्तृत जानकारी दी। फॉरेंसिक विज्ञान एवं प्रयोगशाला के सहायक निदेशक व प्रवक्ता डॉ. एसके पाल ने बताया कि जब कोई शव संदिग्ध अवस्था में मिलता है तो पुलिस अन्वेषण अधिकारियों के लिए यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि यह आत्महत्या का मामला है या किसी सुनियोजित हत्या का परिणाम। ऐसे में फॉरेंसिक विज्ञान मदद करता है। डॉ. पाल ने हत्या, बलात्कार, डूबने से होने वाली मौतों, के बारे में जानकारी दी।