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इमरजेंसी में पूछा हाल, बाकी बेहाल

संवाद सहयोगी, धर्मशाला : हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन (एचएमओए) के प्रदेशव्यापी अवकाश के आह्वान पर

By Edited By: Published: Tue, 24 Jan 2017 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 24 Jan 2017 01:00 AM (IST)
इमरजेंसी में पूछा हाल, बाकी बेहाल

संवाद सहयोगी, धर्मशाला : हिमाचल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन (एचएमओए) के प्रदेशव्यापी अवकाश के आह्वान पर जिला कांगड़ा में सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक सोमवार को छुट्टी पर रहे। अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी में ही मरीजों की जांच की गई बाकी सेवाएं बंद रही। हड़ताल के मद्देनजर ऑपरेशन पहले ही टाल दिए गए थे। हालांकि डॉक्टरों की हड़ताल की जानकारी लोगों को पहले से ही थी इसलिए सरकारी अस्पतालों में कम संख्या में ही लोग पहुंचे, परंतु गंभीर स्थिति में जो भी मरीज आए उन्हें डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा रेफर कर दिया गया। वहीं हड़ताल की सूचना पाकर लोगों ने निजी अस्पतालों का रुख करना ही उचित समझा।

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डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश पर चले जाने से क्षेत्रीय चिकित्सालय धर्मशाला में सन्नाटा रहा। केवल इमरजेंसी में ही सेवाएं मिलीं। यहां भी केवल 50 ही पर्चियां बनीं। चिकित्सकों के सामूहिक अवकाश पर चले जाने की सूचना पहले ही मिल जाने से केवल वही लोग अस्पतालों में पहुंचे, जो इस हड़ताल से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे। चिकित्सक अस्पतालों में चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए कानून लागू न करने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। जिले के तमाम अस्पतालों में केवल इमरजेंसी में ही सेवाएं मिल सकीं। हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि डेढ़ वर्ष से उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है। इसके विरोध में उपरोक्त कदम एसोसिएशन ने उठाया है।

हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के प्रेस सचिव डॉ. सुशील शर्मा के मुताबिक विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भी स्वास्थ्य मंत्री से एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल मिला था और बकायदा उन्हें अवगत करवाकर उपरोक्त मांग को पूरा करने की गुहार लगाई थी, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ने भी आश्वासन देकर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ली। मौजूदा समय में चिकित्सा संस्थानों में महिला चिकित्सकों के अलावा अन्य महिला स्टाफ को भी सुरक्षा मुहैया न होने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी के चलते एसोसिएशन ने आंदोलन का निर्णय लिया है। यह तब तक जारी रहेगा, जब तक कि अस्पतालों में 24 घंटे चिकित्सकों को सुरक्षा व्यवस्था नहीं मिलती।


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