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यशपाल जयंती पर काव्य गोष्ठी

संवाद सहयोगी, धर्मशाला : प्रसिद्ध साहित्यकार एवं क्रांतिकारी यशपाल के जन्मदिवस पर भाषा एवं संस्कृति

By Edited By: Published: Mon, 05 Dec 2016 11:54 PM (IST)Updated: Mon, 05 Dec 2016 11:54 PM (IST)
यशपाल जयंती पर काव्य गोष्ठी

संवाद सहयोगी, धर्मशाला : प्रसिद्ध साहित्यकार एवं क्रांतिकारी यशपाल के जन्मदिवस पर भाषा एवं संस्कृति विभाग ने लेखक परिसंवाद एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. वेद प्रकाश अग्नि ने की। साहित्यकारों व विद्वानों ने यशपाल के साहित्य के क्षेत्र में योगदान को याद किया। अध्यक्ष वेद प्रकाश अग्नि ने यशपाल की कहानी व उपन्यास पर विस्तृत प्रकाश डाला। इस अवसर पर विद्वानों ने यशपाल को पहाड़ी, अंग्रेजी व ¨हदी में अपनी रचनाएं प्रस्तुत करते हुए श्रद्धाजंलि दी। गोपाल शर्मा ने कहा, 'कल सपने में मेरे, आजादी आ गई, न जाने कितने जख्म दिखा गई कितने दुखड़े सुना गई।' सुरेश भारद्वाज ने अपने विचार यूं कहे, 'पुठपल्लड़ी जे सौणी होई ली, पिच्छा कियां छुड़ागां मितरा।' रमेश मस्ताना ने कहा,'जे अपणी-अपणी ही करगा मितरा, कुण कितणा जित्ते चाहंगा मितरा।' प्रभात शर्मा, ललित मोहन शर्मा, कांति सूद, नवीन हलदूनवी व सतपाल घृतवंशी ने रचनाएं पढ़ीं। जिला भाषा अधिकारी प्रवीण मनकोटिया ने सभी साहित्यकारों को यशपाल के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने का सुझाव दिया और सभी का आभार जताया।


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