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तारीख पर तारीख, नतीजा शून्य

राकेश पठानिया, धर्मशाला भाजपा व काग्रेस की राजनीति के शिकार केंद्रीय विश्वविद्यालय को अब भी भूमि च

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 01:02 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 01:02 AM (IST)
तारीख पर तारीख, नतीजा शून्य

राकेश पठानिया, धर्मशाला

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भाजपा व काग्रेस की राजनीति के शिकार केंद्रीय विश्वविद्यालय को अब भी भूमि चयन के मामले में प्रदेश सरकार से तारीख पर तारीख मिल रही है। केंद्रीय विवि के लिए भूमि उपलब्ध करवाना केवल प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है और शेष ढांचागत व मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाना इस संस्थान का कार्य है। सीयू प्रशासन को अब तक प्रदेश सरकार भूमि उपलब्ध करवाने में ही सफल नहीं हो पाई है। कभी देहरा और कभी धर्मशाला के बीच इस विश्वविद्यालय के निर्माण के फंसे राजनीतिक पेंच ने इसके अस्तित्व पर ही संकट खड़ा कर दिया है। उधार की व्यवस्था में चल रहे देश में गिने-जाने वाले उच्च शिक्षण संस्थान का आलम यह है कि इसका प्रशासनिक खंड ही एक लेखक गृह में सीमित है और अस्थायी शिक्षण खंड यहां से 35 किलोमीटर दूर शाहपुर के छतड़ी गांव में है।

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पिछले साल हुआ था भूमि का चयन

पिछले शीतकालीन प्रवास के दौरान श्रीचामुंडा के समीप सालग गांव में कंडकड़ियाना के निकट भूमि का चयन किया गया था। अब दूसरे शीतकालीन प्रवास की भी तैयारी शुरू हो गई है, लेकिन अब तक भूमि चयन प्रक्रिया केवल फाइलों तक ही सीमित है। कभी स्केल मैप तो कभी दूसरी औपचारिकताएं अभी भी भूमि चयन के मामले को तारीख पर तारीख दे रही हैं।

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आठ वर्ष पहले हुई थी घोषणा

केंद्रीय विश्वविद्यालय की घोषणा को आठ वर्ष बीत गए हैं। वर्ष 2007 को स्वतंत्रता दिवस पर प्रदेश को मिले इस तोहफे की अधिसूचना 20 मार्च, 2009 को जारी की थी। इसके बाद यहां कुलपति की नियुक्ति कर इसे साकार रूप देने के लिए तैनात किया गया था। जब तक भूमि का चयन नहीं हो जाता तब तक के लिए प्रदेश सरकार ने अस्थायी व्यवस्था शुरू की थी जो आज भी बदस्तूर जारी है।

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एयरपोर्ट विस्तार का भी यही हाल

कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार का मामला भी अब लटक गया है। इसके लिए तो बाकायदा भारतीय विमानन प्राधिकरण के प्रशासन को दिए गए विस्तारीकरण के प्रारूप को भी प्रदेश सरकार ने अमलीजामा पहना दिया था। प्रदेश सरकार ने इसके लिए अधिकृत की जाने वाली भूमि को करीब 22 दिन में ही अमलीजामा पहना दिया था।

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2388 कनाल भूमि की थी चिह्नित

हवाई अड्डे के विस्तार के लिए 2388 कनाल भूमि को अधिग्रहण के लिए चिह्नित किया गया था। इसमें करीब 835 कनाल भूमि निजी क्षेत्र की थी जिससे शाहपुर व कांगड़ा हलके की कई पंचायतों के लोगों पर विस्थापन की तलवार लटक गई थी। इसका स्थानीय लोगों ने विरोध भी किया था लेकिन हैरानी इस बात की है न तो पर्यटन विभाग और न ही भारतीय प्राधिकरण ने कोई रुचि दिखाई। अब तक यह मामला भी ठंडे बस्ते में है। उधर, ज्वालामुखी दौरे के दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए केंद्रीय मंत्री से व्यक्तिगत बातचीत हुई है। वह शीघ्र ही श्री चामुंडा के पास चयनित भूमि का मुआयना कर इसे अंतिम रूप देंगे।


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