जुनून के आगे उम्र नहीं रखती मायने
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : देश के विभिन्न राज्यों से धर्मशाला में आए हुए उम्रदराज धावकों ने साबित कर द
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : देश के विभिन्न राज्यों से धर्मशाला में आए हुए उम्रदराज धावकों ने साबित कर दिया है कि यदि दिल में कुछ कर गुजरने का जनून हो तो इसको पूरा करने के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। बस दिल में जोश होना चाहिए तो किसी भी उम्र में कुछ भी किया जा सकता है। इसके साथ ही मैदान में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर युवाओं को खेल मैदान में आने की भी प्रेरणा दे रहे हैं।
60 प्लस आयु वर्ग में खेल रहे हरियाणा के सेवानिवृत्त कानूनगो ओम प्रकाश कहते हैं यदि मैं नौकरी के साथ व सेवानिवृत्त होने के बाद भी मैदान में उतरकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकता हूं तो देश के युवाओं में कहां जोश और शारीरिक क्षमता की कमी है।
सोलन की शारदा जोकि 35 प्लस वर्ग दौड़ व लंबी कूद में खेल रही हैं और एक सौ मीटर दौड़ में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता है। इनका मानना है कि उम्र चाहे कुछ भी हो बस अपने में सपने को पूरा करने की ललक दिल में होनी चाहिए, सपने स्वयं साकार होते हैं। शारदा वर्तमान में हिमाचल पुलिस में कार्यरत हैं।
पंजाब पुलिस में कार्यरत एसआइ दलवीर सिंह का मानना है कि शिक्षा के साथ खेल से भी जुड़ना जरूरी है। यदि आज के युवा ऐसा करते हैं तो कामयाबी उनको ढूंढती अपने आप आएगी।
65 प्लस आयु वर्ग में खेल रहे पंजाब के बहादुर सिंह वल्ल का कहना है कि जोश के आगे उम्र शून्य है। बहादुर सिंह कहते हैं कि यदि इतनी आयु होने के बावजूद भी वह सौ मीटर दौड़ में 12.9 सैकंड का राष्ट्रीय रिकार्ड बना सकते हैं तो अच्छा अभ्यास करके तो आज के युवा मैदान में आग उगल सकते हैं।
पंजाब के 75 प्लस आयु वर्ग के सुरजन सिंह जोकि डिस्कस थ्रो व शॉटपुट के खिलाड़ी हैं। उनका कहना है कि चाहे उनकी उम्र बढ़ती जा रही है, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ-साथ उनका खेल के प्रति जनून भी बढ़ता ही जा रहा है। आजकल के युवाओं में नशे के कारण आलस व सुस्ती बढ़ती जा रही है, जिससे उनका मन खेल से पीछे हट रहा है, इसलिए युवाओं से नशे से दूर रहकर अपनी पंसद के खेल के प्रति प्रोत्साहित होना चाहिए।
पंजाब के 55 प्लस वर्ग के गुरदीप सिंह कहते हैं कि अभी हाल ही में चंडीगढ़ में हुई 15 किलोमीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीत कर आए हैं। इसके बाद कुछ माह के बाद होने वाली 21 किलोमीटर दौड़ में भी भाग लेकर स्वर्ण पदक जीतने का मादा रखते हैं। इसके लिए उनकी तैयारी भी पूरी है और हौसले भी बुलंद। उनका कहना है कि यदि वह इतनी आयु के बावजूद 21 किलोमीटर दौड़ने के लिए तैयार हैं तो युवाओं को तो 40 किलोमीटर तक की दौड़ के लिए भी तैयार रहना चाहिए। इसके लिए युवाओं को आलस छोड़ना होगा और अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना होगा।