पहले बदले लोग फिर उनका भविष्य
राकेश पठानिया, धर्मशाला समय बदला और बदल गई चरान स्थित झुग्गी-झोपड़ी के लोगों की सोच। इन लोगों की स
राकेश पठानिया, धर्मशाला
समय बदला और बदल गई चरान स्थित झुग्गी-झोपड़ी के लोगों की सोच। इन लोगों की सोच बदलने में भी लोबसांग जामयांग यानी गुरु जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यही वजह है कि आज चरान स्थित झुग्गी-झोपड़ी के लोग बच्चों को शिक्षा दिलाने में जामयांग का साथ दे रहे हैं।
वर्तमान में टोंगलेन चेरिटेबल ट्रस्ट के निदेशक लोबसंग जामयांग के प्रयास के बाद झुग्गी-झोपड़ी के दो बच्चे इंजीनियर बनने के लिए चंडीगढ़ व हमीरपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इसके अलावा टोंगलेन वर्ष 2015 में चार बच्चों को जो जमा दो उत्तीर्ण कर लेंगे उन्हें मीडिया, नेवी व टूरिज्म मैनेजमेंट करवाने के लिए तैयार करेगा। ट्रस्ट के निदेशक लोबसंग जामयांग ने जब वर्ष 2004 में शुरुआत की थी तो उन्हें असफलता इसलिए हाथ लगी क्योंकि बच्चों के परिजनों के बाहर चले जाने के कारण उनका प्रयास सफल नहीं हो पाया। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को शिक्षा दिलाने का प्रयास शुरू रखा। इसके लिए उन्हें भवन की समस्या सामने खड़ी थी और वर्ष 2005 में डिपो बाजार में किराये पर भवन लेकर 10 बच्चों के साथ शुरुआत की। लेकिन इस दौरान बच्चों को लेने से पूर्व झुग्गी-झोपड़ी के लोगों को प्रमुख सुविधाएं भी समय-समय पर उपलब्ध करवाने का वायदा किया गया। जिसमें स्वास्थ्य सुविधा व भोजन सुविधा शामिल हैं। लेकिन इसमें एक शर्त यह भी टोंगलेन ने रखी कि उन बच्चों से भीख नहीं मंगवाएंगे जिन्हें शिक्षा के लिए भेजेंगे। वहीं 2005 से 2008 तक बीस बच्चों को टोंगलेन संस्था ने लिया और वर्ष 2008 में बीस और बच्चे लिए कुल चालीस बच्चों में बीस-बीस का समूह बनाया गया। जिसमें एक समूह में लड़कों व एक में लड़कियों को शामिल किया गया। 2010 में सराह में संस्था की अपना भवन शुरू हो गया। जिसका शुभारंभ धर्मगुरु दलाईलामा ने किया था। वर्तमान में करीब सौ बच्चे यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जिन्हें हर सुविधा टोंग लेन चैरिटेबल ट्रस्ट प्रदान कर रहा है।
..............
चरान में भी किए जा रहे बच्चे तैयार
टोंगलेन संस्था जहां सराह में झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें उच्च शिक्षा उसी क्षेत्र में दिलाने का प्रयास कर रही हैं जहां जिस क्षेत्र में बच्चों की रुचि है। चरान की झुग्गी- झोपड़ी की बस्ती में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजे जाने के लायक बनाने के लिए भी प्रशिक्षण दे रही हैं। जहां सुबह छह से ही दिनचर्या बच्चों की शुरू करवाई जाती है। स्नान से लेकर नौ बजे तक भोजन और उसके बाद उन्हें उस तरह का कार्य दिया जाता है, जो उनके स्कूल में प्रवेश के लिए आवश्यक हो।
टोंगलेन 2015 में इन बच्चों को करेगी तैयार
टोंग लेन 2015 में निशा, करण, सनी व रवि को तैयार करेगी। इन बच्चों में निशा को मीडिया, करण को नेवी जबकि सनी व रवि को होटल मैनेजमेंट कोर्स के लिए तैयार करेगी। यह बच्चे जमा दो में हैं और जमा दो उत्तीर्ण करने के बाद यह प्रक्रिया शुरू होगी।
समाजसेवा के क्षेत्र में सफलता हर्षपूर्ण
समाजसेवा के क्षेत्र में यह हर्षपूर्ण है कि मेरे प्रयास को सफलता मिली। हालांकि इसमें कई चुनौतियां सामने थी। लेकिन समय बदलने के साथ सभी बाधाएं दूर हो गई। टोंगलेन के दस वर्ष का सफर पूरा कर लिया है और इस सफर में निशा मेडिकल कालेज के लिए आकाश इंस्टीट्यूट चंडीगढ़ जबकि ¨रकू आइटी इंजीनिय¨रग कालेज हमीरपुर में प्रशिक्षण ले रहा है। इन दोनों बच्चों का फ्रांस में एक्सपोजर विजिट भी इस संबंध में करवाया गया था।
-लोबसंग जामयांग, निदेशक
टोंग लेन चैरिटेबल ट्रस्ट।