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शिक्षा का अर्थ केवल अक्षर ज्ञान नहीं : प्रो. सामदोंग रिंपोछे

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : निर्वासित सरकार के पूर्व प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिंपोछे ने कहा है कि

By Edited By: Published: Thu, 20 Nov 2014 04:19 AM (IST)Updated: Thu, 20 Nov 2014 01:52 AM (IST)
शिक्षा का अर्थ केवल अक्षर ज्ञान नहीं : प्रो. सामदोंग रिंपोछे

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : निर्वासित सरकार के पूर्व प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिंपोछे ने कहा है कि शिक्षा का अर्थ केवल अक्षर ज्ञान नहीं बल्कि व्यक्तित्व का समग्र विकास करना है। शिक्षा ग्रहण करने के लिए शिक्षा की मूल भावना को समझना होगा अन्यथा शिक्षा का उद्देश्य ही बदल जाएगा। इससे भटकाव का स्थिति भी पैदा हो सकती है। निर्वासित सरकार के पूर्व प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिंपोछे ने टोंग लेन के 10वें वार्षिक समारोह में गांधी दर्शन को जीवन में उतारने की सलाह देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति, भारतीय होने के दायित्व व जीवन के मूल उद्देश्य को समझने के लिए महात्मा गांधी का हिंद स्वराज समझना होगा।

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उन्होंने मातृभाषा को मूल भाषा बताते हुए कहा कि मातृभाषा अपने माता-पिता से मिलती है। इसके अलावा जो भी भाषा सीखी जाती है वह केवल दूसरी भाषा से संबंधित लोगों के लिए संप्रेषण का एक माध्यम है। वर्तमान के आधुनिक परिवेश में आधुनिक शिक्षा के कारण अपनी मातृभाषा से दूर हो रहे हैं। धर्म एक दर्शन है और धर्म के प्रति आस्था की परंपरा का निर्वहन तो करना चाहिए, लेकिन अंधविश्वास नहीं करना चाहिए। यह भी आवश्यक है कि जिस धर्म से हमारे अभिभावक जुड़े हैं उसे न भूला जाए क्योंकि उसमें कोई न कोई मूल भावना जुड़ी रहती है। शिक्षित होने के साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि शिक्षा के साथ-साथ कहीं धर्म परिवर्तन ही न हो जाए। उन्होंने संस्कारित शिक्षा पर विशेष बल दिया। उन्होंने इस मौके पर संस्कारित शिक्षा देने के लिए टोंग लेन के संचालक लोबसंग जामयांग के प्रयासों की भी सराहना की और उन्होंने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले अभिभावकों की भी सराहना की।

इस मौके पर प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि समाज को जागरूक बनाकर जिस प्रकार से जामयांग ने इन बच्चों के जीवन को एक नई दिशा दी है वह महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं को प्रमाणित करने की एक सच्ची भावना है। इससे पहले इस संस्थान के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम से अपनी प्रतिभा का बेहत्तार प्रदर्शन किया। वहीं इस अवसर इस ट्रस्ट को विशेष योगदान देने वालों को सम्मानित भी किया गया। दलाईलामा के सम्मान को प्रो. सामदोंग रिंपोछे ने ग्रहण किया। प्रो. अजय श्रीवास्तव व अन्ना ओविल को भी सम्मानित किया गया।


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