सीमा को संभावना में बदलेंगे सूरी
संवाद सहयोगी, चंबा : बैंकॉक में अंडर-19 यूथ एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली चंबा की एथलीट
संवाद सहयोगी, चंबा : बैंकॉक में अंडर-19 यूथ एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली चंबा की एथलीट बेटी सीमा को लोगों ने सिर आंखों पर बैठाया है। आज सम्मान समारोह के दौरान उसकी मदद के लिए भी लोग आए हैं। चुवाड़ी के राइ¨जग स्टार पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य एवं समाजसेवी संजीव सूरी ने कहा कि वह कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी के लिए सीमा की पूरी मदद करेंगे।
उन्होंने कहा कि राइ¨जग स्टार पब्लिक स्कूल सीमा को गोद लेकर कॉमनवेल्थ गेम्स का सारा खर्च वहन करेगा। सीमा गरीब परिवार से संबंध रखती है व उसके भाई ने बताया कि एशियन गेम्स में भाग लेने जाने के लिए भी उसे उधार लेकर पैसे दिए थे। उन्होंने स्कूल प्रबंधन की तरफ से एथलीट सीमा को 5100 रुपये की नकद राशि तथा स्मृति चिह्न भेंट किया।
वहीं, परिजनों को यह भी आश्वस्त किया कि आज से सीमा को उन्होंने गोद ले लिया है तथा उसका कॉमनवेल्थ गेम्स तक का सारा खर्च स्कूल प्रबंधन वहन करेगा। इस आश्वासन के बाद सीमा हौसला बढ़ गया है। उसने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल लाने का वादा किया है।
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आंखों से छलके आंसू
इस घोषणा के बाद सीमा की आंख में खुशी के आंसू छलक आए। सीमा ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से संबंध रखती है। परिवार की स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वह सभी जरूरतें पूरा कर सकें। एशियन गेम्स में भी पैसे उधार लेकर भाग लिया था
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सीमा ने वह कर दिखाया है, जिस करने के लिए अधिकतर सोच भी नहीं पाते। वहीं जो सोचते हैं वे या तो पूरी ताकत नहीं झोंक पाते। चंबा के बच्चों सहित लोगों के लिए यह बड़े गर्व की बात है। सीमा ने आज चंबा ही नहीं प्रदेश व देश का नाम भी रोशन किया है। ऐसे में सीमा सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है।
-संजीव सूरी, समाजसेवी एवं प्रधानाचार्य, राइजिंग स्टार स्कूल चुवाड़ी।
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मां और भाइयों का सहारा
पिछड़े क्षेत्र में शुमार चुराह उपमंडल की झुलाड़ा पंचायत के रेटा गांव में रहने वाली सीमा का परिवार खेतीबाड़ी कर गुजार-बसर करता है। पिता बजीरू राम की करीब पांच वर्ष पहले मृत्यु हो चुकी है। इसके बाद माता केसरी देवी व तीन भाई ही मेहनत मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। सीमा के छह भाई बहन हैं व वह सबसे छोटी है। परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के बावजूद परिवार का हौसला कभी पस्त नहीं हुआ। जिसकी बदौलत सीमा आज इस मुकाम को हासिल करने में सफल रही।