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दवाएं तो भरपूर, इलाज करवाएं जरूर

जागरण संवाददाता, चंबा : अगर किसी व्यक्ति को किसी भी समय कुत्ता या बंदर के काट ले और वह रेबीज से पीड़ि

By Edited By: Published: Wed, 28 Sep 2016 01:06 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2016 01:06 AM (IST)
दवाएं तो भरपूर, इलाज करवाएं जरूर

जागरण संवाददाता, चंबा : अगर किसी व्यक्ति को किसी भी समय कुत्ता या बंदर के काट ले और वह रेबीज से पीड़ित हो, तो वह व्यक्ति की जान पर भारी पड़ सकता है। जिला के स्वास्थ्य संस्थानों में एंटी रेबीज वैक्सीन उपलब्ध है, बस लोगों में जागरूकता होना जरूरी है।

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अगर समय पर इलाज नहीं करवाया और व्यक्ति को रेबीज हुआ तो उसकी मौत निश्चित है। फिर उसको बचाने के लिए कोई इलाज संभव नहीं है। काटे गए व्यक्ति की जरा सी लापरवाही औरों की जान ले सकती है। क्योंकि रेबीज फैलने से मौत संभव है।

हालांकि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिला चंाब में अब तक रेबीज फैलने से किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है, जबकि कुत्ते व बंदरों के काटने से बड़ी संख्या में घायल व्यक्ति सरकारी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। सप्ताह में करीब सात से आठ मामले कुत्तों व बंदरों के काटे जाने के अस्पताल में पहुंच रहे हैं।

जिले के सामान्य अस्पतालों, सीएचसी व पीएचसी पर एआरवी टीके लगाने की सुविधा है, जबकि क्षेत्रीय अस्पताल चंबा के आपातकालीन कक्ष सहित जिला के 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में वैक्सीनेशन की सुविधा भी मुहैया करवाई गई है।

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कहां कितनी वैक्सीन

सीएचसी उपलब्ध वैक्सीन

बनीखेत 120

सिहुंता 20

चुवाड़ी 120

भरमौर 200

तीसा 200

छतराड़ी 20

समोट 200

बगढार 60

चंबा अस्पताल 200

ककीरा 200

किहार 120

चूड़ी 100

स्टोर 1991

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ये न करें

रेबीज से संक्रमित किसी कुत्ते या बंदर आदि के काटने पर इलाज में लापरवाही न बरतें।

-काटे हुए जख्म पर मिर्च न बांधे।

-घाव अधिक है तो उस पर टांके न लगवाएं।

-रेबीज के संक्रमण से बचने के लिए कुत्ते व बंदरों आदि के अधिक संपर्क में न जाएं।

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72 घंटे के भीतर उपचार जरूरी

किसी भी व्यक्ति को रेबीज से संक्रमित कुत्ते, बंदर, लोमड़ी, सियार, लंगूर आदि किसी जानवर ने काट लिया और 72 घंटे तक उसका इलाज नहीं करवाया तो वैक्सीन व एआरवी के टीके लगावने का कोई फायदा नहीं है। इसलिए जितना जल्दी हो सके, वैक्सीन व एआरवी के टीके अवश्य लगवाएं। हालांकि इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार की तरफ से जागरूकता अभियान भी चलाने चाहिएं, ताकि लोग इलाज के प्रति लापरवाही न बरतें।

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रेबीज के संक्रमण से ग्रसित कुत्ते व बंदर के काटने के बाद अगर वैक्सीनेशन नहीं करवाया तो उसके लक्षण दस साल बाद भी आ सकते हैं, जब किसी भी व्यक्ति में ये लक्षण आएंगे, तो उसे पानी से डर लगने लगता है। रेबीज के संक्रमण के बाद उसका इलाज संभव नहीं है, जिस व्यक्ति में यह संक्रमण बढ़ता है तो उसकी मौत निश्चित है। समय पर इलाज मिलने से इसका संक्रमण नहीं होता।

-डॉ. विनोद शर्मा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी चंबा।

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कुत्ते की पहचान आसानए बंदर की मुश्किल

रेबीज से संक्रमित कुत्ते की पहचान करना आसान है, लेकिन बंदर की पहचान करना मुश्किल। रेबीज से संक्रमित कुत्ते की दस दिन के अंदर मौत होना या जिस स्थान पर कुत्ता रहता है, उस स्थान को छोड़ जाना और कुत्ते के मुंह से लार पड़ना प्रमाणित करता है कि कुत्ता रेबीज से संक्रमित है। वहीं बंदर की पहचान करना मुश्किल है क्योंकि वह एक स्थान पर नहीं रुकता।


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