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पूर्ण गुरु ही देता है मन को एक दिशा : महात्मा

संवाद सहयोगी, चंबा : निरंकारी सत्संग भवन मुगला में रविवार को साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया।

By Edited By: Published: Mon, 29 Aug 2016 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 29 Aug 2016 01:00 AM (IST)
पूर्ण गुरु ही देता है मन को एक दिशा : महात्मा

संवाद सहयोगी, चंबा : निरंकारी सत्संग भवन मुगला में रविवार को साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। इस मौके पर सत्संग में निरंकारी महात्मा दुनी चंद ने श्रद्धालुओं को प्रवचन देकर भाव विभोर किया। कार्यक्रम की शुरुआत वंदना व दीप जलाकर की गई। इस मौके पर सबसे पहले गुरु के महत्व के बारे में बताया गया, इसमें उन्होंने कहा कि गुरु खुद जलकर दूसरों को रोशनी देता है, जो शिष्य गुरु की आज्ञा का पालन करता है वह अपनी मंजिल तक पहुंच जाता है। गुरु का स्थान सबसे ऊंचा है। इसके बाद महात्मा ने कहा कि भोग और मोक्ष दो धुरियां हैं, जो विपरीत दिशा की ओर जाती हैं। उन्होंने कहा कि मन ही बंधन और मुक्ति का कारण है। यह ज्ञान बुद्धि से परे है और चेतना का अनुभव है।

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मन को बांधकर नहीं रखा जा सकता है और पूर्ण गुरु भी मन को एक दिशा देता है। सत्संग के दौरान शहर के अलावा तीसा, डलहौजी, खजियार, भरमौर व अन्य दूरदराज से भक्तजनों ने मौजूदगी दर्ज करवाई। महात्मा ने कहा कि परमात्मा सभी रसों का रस और पूर्णानंद है। जिसे वह आनंद मिल गया उसे संसार के सभी रस फीके लगते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य का मन उसे भटकाता रहता है, क्योंकि यह मन बड़ा ही चंचल है। इस मन पर जिस व्यक्ति ने विजय पा ली, वह दुनिया की किसी भी चीज पर विजय प्राप्त कर सकता है, लेकिन मन भी बड़ा ही प्रबल है, इसे आसानी से वश में नहीं किया जा सकता है यह इधर-उधर भटकता रहता है। निरंकारी मिशन मंडल चंबा के प्रभारी विजय ने बताया कि सत्संग में श्रोताओं की खूब भीड़ उमड़ी। सत्संग के दौरान भजन-कीर्तन का दौर भी चला। साप्ताहिक सत्संग का समापन प्रसाद वितरण के साथ हुआ।


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