खून देकर ऑपरेशन करता है यह डॉक्टर
नरेंद्र ठाकुर, मैहला परंपरागत दृश्य यह होता है कि खून के अभाव में अव्वल तो मरीज के ऑपरेशन की बारी
नरेंद्र ठाकुर, मैहला
परंपरागत दृश्य यह होता है कि खून के अभाव में अव्वल तो मरीज के ऑपरेशन की बारी ही नहीं आती। कई बार डॉक्टर भी अल्टीमेटम दे देते हैं कि खून का इंतजाम करो तो ही ऑपरेशन होगा.. लेकिन एक डॉक्टर ऐसा है जिसके साथ ऐसा नहीं है। वह पहले मरीज को खून देता है फिर खुद ही ऑपरेशन भी करता है। बात हो रही है डॉ. जनकराज की। जिन्होंने अब तक 15 बार रक्तदान कर मरीजों का ऑपरेशन किया है।
भरमौर के सचूई गांव निवासी डॉ. जनक कुछ इस तरह से ही जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे रहते हैं। आइजीएमसी शिमला में सहायक प्रोफेसर के पद पर तैनात डॉ. जनक कहते हैं कि आज वह जिस मुकाम पर हैं, समाज के हर वर्ग से जुड़े हर व्यक्ति की बदौलत हैं। जब समाज की उन्हें जरूरत थी, तो समाज ने उनका हर कदम पर साथ दिया। इसी कारण आज इस सम्मानजनक मुकाम तक पहुंचने पर मेरा दायित्व बनता है कि मैं कुछ लौटा पाने की कोशिश करूं।
डॉ. जनक के पिता मजदूरी करते थे। बचपन में वे अकसर देखा करते थे कि कई गरीब वर्ग से संबद्ध लोग बीमारी के दौरान उचित उपचार न मिलने के कारण दम तोड़ देते थे। ये सब देखकर मन में हमेशा यह विचार आता था कि बड़ा होकर एक अच्छा डॉक्टर बनूं तथा लोगों की मदद कर सकूं।
डॉ. जनक राज ने गरीब लोगों की मदद को ही जीवन का लक्ष्य बनाया और आशादीप नामक संस्था से भी जुड़े हैं, जिसके माध्यम से वह अब तक हजारों मरीजों का निशुल्क इलाज कर चुके हैं। उनका मानना है कि सरकार ने गरीबों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर तरह-तरह के कार्यक्रम चला रखे हैं, लेकिन आज भी ये कार्यक्रम गरीबों की पहुंच से दूर हैं।
--------
मेरा ध्येय है कि मैं एक ऐसी संस्था को अस्तित्व में लाऊं, जो महज गरीब व असहाय लोगों के लिए समर्पित होगी। यह संस्था गरीब परिवार से संबंध रखने वाले मरीजों का निशुल्क इलाज करवाएगी।
-डॉ. जनक, सर्जन, आइजीएमसी शिमला।