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तंग व खस्ताहाल सड़कें बन रहीं जान की दुश्मन

जागरण संवाददाता, चंबा : जिला की सर्पीली, तंग व खस्ताहाल सड़कों पर खूनी हादसों का सिलसिला नहीं थम रहा।

By Edited By: Published: Wed, 04 May 2016 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 04 May 2016 01:00 AM (IST)
तंग व खस्ताहाल सड़कें बन रहीं जान की दुश्मन

जागरण संवाददाता, चंबा : जिला की सर्पीली, तंग व खस्ताहाल सड़कों पर खूनी हादसों का सिलसिला नहीं थम रहा। जिला के मुख्य सहित संपर्क मार्गो पर होने वाले हादसों व इनमें मरने वालों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को चुवाड़ी के पातका मार्ग पर हुआ हादसा भी जिला में अब तक हुए बड़े हादसों में दर्ज हो गया है। हर हादसे में अपनों को गंवाने वालों के जख्मों पर प्रशासन फौरी राहत देकर मरहम लगाकर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर रहा है। लेकिन हादसों को रोकने के लिए लेकर सरकार व प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है। हर हादसे के बाद जांच की बात कही जाती है, लेकिन जांच में क्या परिणाम निकला, इसका कभी खुलासा नहीं हो पाया है। इस कारण जिला की सड़कें इनसानी खून से सन रही हैं।

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चंबा जिला में अब तक सबसे बड़ा हादसा चंबा-गागला मार्ग पर अगस्त 2012 में हुआ था, इसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी। सलूणी के चकोली पुल के पास केंटर के नाले में गिरने से 45 लोगों की मौत हुई थी। खैरी कस्बे में चार वर्ष पूर्व शिवरात्रि की रात एक कैंटर के गिरने से 36 लोग काल का ग्रास बने थे। तीसा के कल्हेल में बस गिरने से 32, चरडा में निजी बस गिरने से 19 लोग और शिकारी मोड के पास बस गिरने से 16 लोगों की मौत हुई थी। भरमौर के लाहल में हुए बस हादसे में 45 और गरोला में निजी बस के गिरने से 19 लोगों की मौत हुई थी। हिमगिरी मार्ग पर निजी बस के दुर्घटनाग्रस्त होने से 17 लोगों की मौत हो गई। अथेड़ मार्ग पर पिकअप लुढ़कने से दस युवकों को जान गंवानी पड़ी। भरमौर के बन्नी माता मार्ग पर पिकअप गिरने से 11 युवक मारे गए थे। चंबा-खजियार मार्ग पर गजनुंई के पास कार हादसे में भी दो लोगों की मौत हो गई थी।

इसके अलावा अनेक ऐसे सड़क हादसे विभिन्न संपर्क मार्गो पर हुए हैं, जिसमें सैकड़ों लोगों की जानें लील ली है। मंगलवार सुबह पातका मार्ग पर हुआ सड़क हादसा भी कई परिवारों को ऐसे जख्म दे गया है, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो पाएगी। वहीं, 28 लोग ¨जदगी व मौत से जूझ रहे हैं। आखिर सड़कों पर मौत का यह तांडव कब खत्म होगा। यह सवाल चंबावासियों के दिमाग में घर कर गया है।


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