बागवानी व पर्यटन क्षेत्र में पहचान बनाएगा भरमौर
संवाद सूत्र, भरमौर : भरमौर क्षेत्र की आर्थिकी में बागवानी व धार्मिक पर्यटन भी मुख्य भूमिका निभाते है
संवाद सूत्र, भरमौर : भरमौर क्षेत्र की आर्थिकी में बागवानी व धार्मिक पर्यटन भी मुख्य भूमिका निभाते हैं। लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव में यह क्षेत्र पर्यटकों को लुभाने में अभी तक फिसड्डी रहा है। अब यह क्षेत्र बागवानी व पर्यटन के क्षेत्र में भी पहचान बनाएगा।
भरमौर प्रशासन ने कुछ माह में क्षेत्र का कायाकल्प करने की तैयारी कर ली है। मणिमहेश यात्रा के लिए 10 माह बचे हैं और प्रशासन ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। 2015-16 के लिए क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया है। इसके तहत बन्नी माता मंदिर, भरमाणी माता मंदिर, लाके वाली माता मंदिर व कार्तिक मंदिर का सुंदरीकरण व सरायों का निर्माण किया जाएगा। भरमौर से मणिमहेश तक के रास्ते का अंधेरा दूर करने के लिए सौर विद्युत का उपयोग किया जाएगा। यात्रियों के विश्राम के लिए शेड व बंकर बनाए जाएंगे, जबकि रास्ते में हर जगह रेलिंग लगाई जाएगी और बैठने के लिए बैंच लगाए जाएंगे। इसके अलावा थोड़ी-थोड़ी दूरी पर शौचालयों का निर्माण भी करवाया जाएगा। हड़सर में पार्किग व विशाल यात्री भवन बनाने की भी योजना है। भरमौर से भरमाणी तक रज्जू मार्ग का निर्माण करना, थल्ला में हेलीपैड का निर्माण करना, गौरी कुंड व मणिमहेश झील के चारों ओर दीवार बनवाना, सीसीटीवी कैमरे लगाना, भरमौर में पर्वतारोहण हट, शॉपिंग कांप्लेक्स, जिम्नेजियम, ऑडिटोरियम व सार्वजनिक पुस्तकालय बनवाने की योजना का प्रारूप तैयार हो चुका है।
उपमंडलाधिकारी भरमौर जितेंद्र कंवर ने कहा कि योजना को अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर को स्वीकृत के लिए भेज दिया है। यदि 2015-16 में कार्य शुरू हुआ तो आगामी तीन वर्ष में भरमौर के लोगों की आर्थिकी में सुधार होगा और विश्वभर के लोग कबाइली क्षेत्र को जानने लगेंगे।