पहाड़ी लोगों में पानी की कमी से हो रही पित्त की पत्थरी
मनोज ठाकुर, भरमौर आमतौर पर स्वच्छ वातावरण में रहने वाले पहाड़ी लोगों को तंदरुस्त व रोग मुक्त माना ज
मनोज ठाकुर, भरमौर
आमतौर पर स्वच्छ वातावरण में रहने वाले पहाड़ी लोगों को तंदरुस्त व रोग मुक्त माना जाता है। मगर आधुनिकता व खानपान में लापरवाही के कारण स्वच्छ वातावरण भी इन पहाड़ी लोगों को दर्दनाक बीमारियों की चपेट में ले रहा है।
जनजातीय क्षेत्र भरमौर में विभिन्न बीमारियों के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिनमें से पित्त की पत्थरी के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। यह खुलासा भरमौर में चल रहे बहु शल्य चिकित्सा शिविर में पहुंचे मरीजों की संख्या के आंकड़े से हुआ है। पिछले आठ वर्षो से जनजातीय मुख्यालय भरमौर में बहु शल्य चिकित्सा शिविर का आयोजन हो रहा है। जिसमें विभिन्न रोगों की शल्य चिकित्सा की जाती है। एनआरएचएम के तहत चल रहे शिविर में चिकित्सा करने आए डॉ. मकसूद ने बताया कि शिविर में हर्निया, बबासीर, बच्चेदानी, आंखों व पित्त की पत्थरी के ऑरपेशन किए जा रहे हैं। इन सब में पित्त की पत्थरी के सबसे अधिक रोगी पहुंचे हैं। जिनमें 30 मरीजों का ऑपरेशन आज ही किया गया। वहीं कुछ मरीजों को दवाइयों के माध्यम से उपचार लेने का परामर्श दिया गया है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में रुखे मौसम के कारण लोगों को पसीने का अहसास नहीं होता। जिससे उनके शरीर में लगातार पानी की कमी होती चली जाती है। वह पानी काफी कम मात्रा में पीते हैं। परिणामस्वरूप पित्त में पत्थरी बननी लगती हैं। ऐसे में पहाड़ी लोगों को अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक पानी पीने की आवश्कता है। उन्होंने बताया कि लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हुए खानपान पर ध्यान देना चाहिए।