लक्ष्मीनारायण मंदिर नहीं होने देगा देव परंपरा का खंडन
संवाद सहयोगी, चंबा : चंबा जिले की अचल संपत्ति के मालिक भगवान लक्ष्मी नारायण ने तीसा क्षेत्र के देवीकोठी मंदिर से चंबा के चामुंडा मंदिर तक होने वाली धार्मिक यात्रा की अवधि अब आठ दिन कम कर दी है। क्योंकि इनका मानना है कि इस यात्रा की अवधि को कुछेक लोगों ने अनावश्यक रूप से बढ़ा रखा था। जिसके चलते जहां देव परंपरा का खंडन होता था। वहीं यात्रा को भी वापस अपने स्थान तक पहुंचने में काफी दिन लग जाते थे।
देवीकोठी मंदिर के पुजारी व कमेटी प्रधान हेमराज शर्मा ने बताया कि पुराने नियम के अनुसार यह यात्रा बैसाख की द्वितीय तिथि से आरंभ होती है और बैसाख की 22 तारीख को वापस अपने स्थान पर आकर खत्म होती है। लेकिन गत कुछ वर्षो से इस यात्रा को लेकर की जा रही खींचतान के बाद इसे लगभग आठ दिन लंबा कर दिया गया था। लेकिन हाल ही में जो लक्ष्मी नारायण मंदिर की प्रबंधन कमेटी द्वारा निर्णय लिया गया है। उससे इस यात्रा की पुरानी और पवित्र गरिमा लौट आई है। उन्होंने कहा कि गत 15 अप्रैल को यह यात्रा चंबा के लिए प्रस्थान कर चुकी है।
गौरतलब है कि चंबा के जितने भी मुख्य मंदिर है कि उनका प्रबंध लक्ष्मीनारायण मंदिर चंबा द्वारा ही निर्देशित होता है। लक्ष्मीनारायण मंदिर कमेटी व देवीकोठी मंदिर कमेटी के बीच हुई वार्तालाप के दौरान इस पुरानी परंपरा को फिर लागू करने का निर्णय लिया गया है। इसके चलते अब बैरावाली माता की यात्रा के नाम से प्रसिद्ध यह धार्मिक प्रवास अब अपने निर्धारित तिथियों के तहत चामुंडा माता मंदिर चंबा में मेला उत्सव के उपरांत देवीकोठी मंदिर वापस पहुंच जाएगा।