अंगद ने चूर किया रावण का अहंकार
जागरण संवाददाता, बिलासपुर : रावण अभिमान मत कर, जिन्होंने शिव धनुष तोड़ा, परशुराम का गर्व भग किया और ज
जागरण संवाददाता, बिलासपुर : रावण अभिमान मत कर, जिन्होंने शिव धनुष तोड़ा, परशुराम का गर्व भग किया और जिन्हें तू नहीं मानता हैं वह श्रीराम कोई साधारण मानव नहीं साक्षात भगवान हैं। मेरी मानो तो सीता जी को सादर लौटा दो अन्यथा न तो तुम रहोगे और न ही तुम्हारी स्वर्ण लंका। जब यह संवाद रावण के खुले दरबार में प्रभु श्रीराम का दूत बनकर गए अंगद ने कहे तो समूचा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। यह दृश्य बिलासपुर के डियारा सेक्टर में श्रीराम नाटक में प्रस्तुत किया गया। दृश्य में अंगद ने बल प्रदर्शन करते हुए सभा के सभी सदस्यों को चुनौती दी कि वे यदि इतने ही बड़े योद्धा हैं तो उसके पांव को जमीन से उखाड़ कर बताएं। सभी प्रयास करते हैं, लेकिन कोई सफल नहीं होता। बाद में रावण स्वयं अंगद का गर्व भंग करने के लिए स्वयं अड़ा होता है तो अंगद कहते हैं कि मेरे चरणों में गिरने से तू हारा कल्याण नहीं होगा तुम भगवान श्रीराम के चरणों में गिरो, जिससे तुम्हारा ईहलोक और परलोक दोनों सुधरे। अंगद रावण के दरबार में युद्ध की घोषणा कर देते हैं।
संध्या के प्रथम दृश्य में रावण अपने भाई विभीषण को लंका से निष्कासित कर देते हैं। तीसरे दृश्य में भगवान श्रीराम युद्ध की रणनीति तैयार करते हैं और प्रथम युद्ध का कार्यभार वीर लक्ष्मण को सौंपते हैं। इस युद्ध में मेघनाद ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर लक्ष्मण को मूर्छित कर देते हैं। हनुमान ने लक्ष्मण जी को वापस युद्ध शिविर में ले आते हैं। जहां पर अपने भाई को बेसुध देखकर प्रभु श्रीराम विलाप करते हैं, जिस पर हनुमान संजीवनी बूटी की पहचान न होने पर पूरा पर्वत ही लेकर श्रीराम शिविर आ जाते हैं।
वैद्यराज वीर लक्ष्मण का उपचार कर उनकी मूर्छा को भंग करने में सफल हो जाते हैं तथा पूरे श्रीराम शिविर में खुशी की लहर दौड़ जाती है। इस संध्या में राम का अभिनय केशव, लक्ष्मण का नवीन सोनी, कुंभकरण का संदीप गुप्ता, रावण का रजत कुमार, विभीषण का माधव व अंगद का किरदार पारस निभा रहे हैं।